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यह भी मान्यता
राजा राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा वाल्मीकि ऋषि के तपोवन में आ गया। लव-कुश ने घोड़ा पेड़ से बांध दिया। घोड़े ने छूटने का प्रयास किया। इससे उसके तने पर घोड़े के खुरों के निशान बन गए। इन निशानों को लोग अश्वमेध यज्ञ से जोड़ते हैं। कहा जाता है कि हनुमान को इसी स्थान पर बांधा गया। अभयारण्य में हनुमान मंदिर भी है। एक शिलालेख में लिखा है कि पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में अश्वमेघ यज्ञ के दौरान छोड़ा घोड़ा लव-कुश ने यहां बांधा था और रामजी की सेना को परास्त किया था।
यहां है सीता डेरी
कांठल के इतिहासकार मदन वैष्णव का कहना है कि धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम के राजतिलक के बाद अग्निपरीक्षा के बावजूद सीता पर अंगुली उठाने पर श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि उन्हें दूर-दराज के ऐसे गहन जंगल में छोड़ आओ। तब लक्ष्मण उन्हें इस घने पहाड़ी जंगल में छोड़ गए। इस स्थान को सीता डेरी के नाम से जाना जाता है।
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यहीं हुआ था लव-कुश का जन्म
वनवास के लिए छोड़े जाते समय माता सीता गर्भवती थी। सीताडेरी से 15 कोस दूर वाल्मीकि ऋषि का आश्रम था। गर्भवती सीता ने यहीं लव-कुश को जन्म दिया। यहां गर्म व ठंडे पानी से भरा लवकुश कुंड व 12 बीघा में फैला बरगद का वह पेड़ भी है, जहां लव-कुश खेलकूद कर बड़े हुए थे।