राजनीति

Ram Vilas Paswan और रघुवंश प्रसाद के रूप में एक महीने में चले गए बिहार के दो दिग्गज, Modi Govt ने भी खोए दो मंत्री

Ramvilas Paswan और रघुवंश प्रसाद के साथ एक महीने में Bihar के दो चमकते सितारे हुए अस्त
पंद्रह दिन में मोदी सरकार ने भी खो दो केंद्रीय मंत्री

Oct 09, 2020 / 09:15 am

धीरज शर्मा

भारतीय राजनीति के चमकते सितारे हुए अस्त

नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Polls ) अब तक के सभी चुनावों में सबसे कठिन दौर में हो रहा है। एक तरफ कोरोना काल और दूसरी तरफ प्रदेश की राजनीति के चमकते सितारों का अस्त होना। एक महीने के अंदर बिहार के दो दिग्गज का निधन ना सिर्फ प्रदेश की राजनीति के लिए बड़ा झटका है बल्कि राजनीतिक दलों को भी बड़ी क्षति हुई है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ( Ram Vilas Paswan ) का 74 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वहीं पिछले महीने की 13 सितंबर को पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद ने दुनिया का अलविदा कह दिया। यानी एक महीने में बिहार के दो धुरंदर की मौत हो गई।
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मोदी सरकार ने भी खोए दो मंत्री
वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार ने भी पंद्रह दिन के अंदर अपने दो मंत्रियों को खोया है। पहले केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया तो वहीं राम विलास पासवान के रूप में मोदी सरकार ने अपना दूसरा मंत्री भी खो दिया।
पिछले एक महीने में देश की राजनीतिक के चमकते सितारे दुनिया को अलविदा कह गए। अपने साथ-साथ वे राजनीतिक दलों और सरकारों की चमक को भी फीका कर गए। दो केंद्रीय मंत्री और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के निधन ने ना सिर्फ उनके प्रशंसकों को उदास किया बल्कि राजनीतिक दलों के साथ सियासी गलियारों में भी लंबी खामोशी कर दी।
राम विलास ने बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड
विधायक बनने के आठ साल बाद पासवान ने जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा। उस दौरान पासवान 4.25 लाख वोट से जीते थे। यह पासवान का वर्ल्ड रिकॉर्ड था।
6 प्रधानमंत्रियों के साथ कैबिनेट में किया काम
राम विलास पासवान उन नेताओं में थे जो जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से निकले थे। बिहार की राजनीति में कद्दावर नेता की हैसियत रखने वाले पासवान ने छह प्रधानमंत्रियों के साथ कैबिनेट में काम किया था।
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राम विलास पासवान साल 1977 में पहली बार जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में हाजीपुर सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे। यहां उन्होंने रिकॉर्डतोड़ वोट से जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया था। साल 1980 के लोकसभा चुनावों में इसी सीट से दोबारा जीत अर्जित की।

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