दरअसल, भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने से अब उसे कई मामलों में समझौता करना पड़ सकता है। इसमें लोकसभा अध्यक्ष पद भी शामिल बताया जा रहा है। एनडीए की सरकार पूरी तरह से टीडीपी व जेडीयू पर निर्भर होती दिख रही है। दोनों ही दल अपनी तरफ से दबाव की राजनीति कर रहे हैं। खुलकर कोई भी नेता अब तक सामने नहीं आया है। गौरतलब है कि एनडीए की सरकार में दो बार सहयोगी दलों को यह पद दिया जा चुका है।
क्यों है लोकसभा अध्यक्ष पद का महत्व
-सदन का मुखिया होने के साथ सदन के अनुशासन को सुनिश्चित करता है -अनुशासन उल्लंघन पर सदस्यों को दंडित करने का अधिकार -सदस्य को अयोग्य करने के निर्णय का अधिकार -बहुमत परीक्षण कराने के दौरान दोनों पक्षों के वोट बराबर होने पर वह मतदान करने का भी अधिकारी होता है। ऐसे में अïध्यक्ष का वोट निर्णायक होता है। -स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव आदि पर निर्णय लेने का अधिकार
-विपक्ष के नेता को मान्यता देने पर भी फैसला करने का अधिकार -सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है और उनके कार्यों पर निगरानी रखता है
गठबंधन सरकारों में यह रह चुके है सहयोगी दलों के अध्यक्ष
अध्यक्ष- जीएमसी बालयोगी, दल- टीडीपी, सरकार- एनडीए अध्यक्ष- मनोहर जोशी, दल- शिवसेना, सरकार-एनडीए अध्यक्ष-सोमनाथ चटर्जी, दल- सीपीएम, सरकार- यूपीए