धनखड़ ने यह बातें राष्ट्रीत रक्षा महाविद्यालय में एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत अपनी विविधता का जश्न मनाता है, जिसमें कई आधिकारिक भाषाएं, विभिन्न धर्म, और विविध जातीयता संविधान के तहत स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करते हैं। भारत भेदभाव से दूर, त्योहारों, भोजन, भाषाओं और संस्कृतियों में अंतर को अपनी ताकत के रूप में अपनाता है। विविधता में एकता हमारे विचार और क्रिया दोनों में हमेशा प्रदर्शित होती रही है।
धनखड़ ने कहा कि समावेशी विकास, शांति और सार्वभौमिक कल्याण के साथ-साथ पर्यावरण का पोषण भारतीय दर्शन का मूल है। धनखड़ ने कहा कि भारत के हित इसके लोगों के कल्याण और वैश्विक शांति से जुड़े हैं, और यह आतंकवाद और धार्मिक कट्टरवाद से मिलकर निपटने पर जोर देता है। आर्थिक विकास, जन केंद्रित विकास और समावेशी विकास भारत की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि भारत को प्राचीन और मध्यकालीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का गौरव प्राप्त था, जो दुनिया की एक-चौथाई से एक-तिहाई संपत्ति नियंत्रित करता था। भारत निश्चित रूप से इसे वर्तमान समय में पुन: प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है।