राजनीति

संघर्ष के मुकाबले संवाद को प्राथमिकता देता है भारत: धनखड़

-राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय में बोले उपराष्ट्रपति

नई दिल्लीNov 22, 2024 / 12:23 pm

Shadab Ahmed

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जैसे-जैसे वैश्विक शांति टूट रही है, युद्ध तीव्र हो रहे हैं और शत्रुता सिद्धांतों में बदल रही है। साथ ही जलवायु संकट का संकट मंडरा रहा है। मानवता एक कगार पर खड़ी है। मुक्ति का मार्ग भारत के प्राचीन ज्ञान में छिपा है। भारत की विदेश नीति देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती है। संघर्ष के मुकाबले संवाद को प्राथमिकता देती है।
धनखड़ ने यह बातें राष्ट्रीत रक्षा महाविद्यालय में एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत अपनी विविधता का जश्न मनाता है, जिसमें कई आधिकारिक भाषाएं, विभिन्न धर्म, और विविध जातीयता संविधान के तहत स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करते हैं। भारत भेदभाव से दूर, त्योहारों, भोजन, भाषाओं और संस्कृतियों में अंतर को अपनी ताकत के रूप में अपनाता है। विविधता में एकता हमारे विचार और क्रिया दोनों में हमेशा प्रदर्शित होती रही है।
धनखड़ ने कहा कि समावेशी विकास, शांति और सार्वभौमिक कल्याण के साथ-साथ पर्यावरण का पोषण भारतीय दर्शन का मूल है। धनखड़ ने कहा कि भारत के हित इसके लोगों के कल्याण और वैश्विक शांति से जुड़े हैं, और यह आतंकवाद और धार्मिक कट्टरवाद से मिलकर निपटने पर जोर देता है। आर्थिक विकास, जन केंद्रित विकास और समावेशी विकास भारत की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि भारत को प्राचीन और मध्यकालीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का गौरव प्राप्त था, जो दुनिया की एक-चौथाई से एक-तिहाई संपत्ति नियंत्रित करता था। भारत निश्चित रूप से इसे वर्तमान समय में पुन: प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है।

समग्र मानवता कल्याण के लिए काम करता है भारत

धनखड़ ने कहा कि भारत सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि समग्र मानवता के कल्याण के लिए काम करता है। हाल ही में जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत ने अपनी मूल मान्यताओं से प्रेरित होकर, वैश्विक प्रगति में जीडीपी के बजाय मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया, एकता को विभाजन पर प्राथमिकता दी।

विकास के लिए शांति का वातावरण महत्वपूर्ण

धनखड़ ने कहा कि शांति का वातावरण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यदि वैश्विक स्तर पर किसी भी स्थान पर शांति भंग होती है, तो इससे विकास, समरसता पर प्रतिकूल असर पड़ता है, इसीलिए राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है।

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