मालूम हो उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद योगेंद्र साव के खिलाफ चल रहे बरकागांव केस सहित सभी 18 मामलों के केस के सभी रेकाॅर्ड हजारीबाग से रांची की अदालत में स्थानांतरित हो गए हैं। साव आज रांची में संबंधित ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे।
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शुक्रवार को ही साव की जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने उनके खिलाफ चल रहे सभी लंबित मामले हजारीबाग से रांची के ट्रायल कोर्ट में भेजने का आदेश दिया था। साव 2013 में झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में मंत्री बने थे।
योगेंद्र साव के वकील की तरफ से जारी प्रेस कांफ्रेस में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। हालांकि आदेश में यह नहीं कहा गया है कि उन्हें किस अदालत में और कब सरेंडर करना है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि जब तक हजारीबाग से उनके मामले रांची न्यायालय में स्थानांतरित नहीं हो जाते, तब उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए।
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योगेंद्र साव की इस दलील का झारखंड सरकार के वरीय अधिवक्ता तापेश सिंह ने विरोध किया। कहा कि प्रार्थी को सरेंडर करने का निर्देश पहले ही दिया गया है। इस कारण उन्हें गिरफ्तारी से छूट नहीं मिलनी चाहिए। सुनवाई के बाद अदालत ने योगेंद्र साव को 15 अप्रैल को रांची की अदालत में सरेंडर करने का आदेश दिया।
साव के खिलाफ 18 मामले
बता दें कि योगेंद्र साव और उनकी पत्नी विधायक निर्मला देवी के खिलाफ झारखंड के हजारीबाग कोर्ट में 18 मुकदमे चल रहे हैं। साव के खिलाफ एक दर्जन से अधिक मामलों में दंगा और हिंसा के लिए उकसाने के आरोप हैं।
हालांकि दिसंबर 2017 में साव और उनकी पत्नी को दोनों को उच्चतम न्यायालय ने जमानत दे दी थी लेकिन जमानत के दौरान भोपाल में रहने की शर्त का उल्लंघन करने के आरोप लगने के बाद साव को फिर सरेंडर करने के निर्देश दिए गए।
सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता तापेश सिंह ने बताया कि योगेंद्र साव को 15 अप्रैल को रांची के अपर न्यायायुक्त- सात की अदालत में सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट में यह बात रिकॉर्ड की गई है।