अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने तृणमूल से कई सीटें छीन ली थीं। भगवा पार्टी ने अपने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन के साथ 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें से दो सीटों पर जीत साल 2014 के चुनाव में हासिल हुई थी।
साल 2014 के चुनाव में 34 सीटें जीतने वाली तृणमूल पार्टी को इस बार 22 सीटों के साथ ही संतोष करना पड़ा था। उसके बाद तृणमूल ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सेवा ली है, जिन्होंने जनता तक पहुंचने के लिए राज्य के सत्ताधारी दल के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की तैयारी की है। अब इस बात को देखने का एक बेहतरीन अवसर है कि किशोर की रणनीतिक का प्रभाव इस उपचुनाव कितना होता है।
दूसरी ओर, देखने वाली बात यह भी है कि लोकसभा चुनाव में अपने बेहतरीन प्रदर्शन की गति को यथावत रखने के लिए भाजपा क्या करती है। इनके अलावा भी गौर फरमाने वाली एक और मजेदार बात यह भी है कि वामंपथी और कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहेगा, जिन्होंने इन तीन सीटों के लिए एक समझ बनाने का निर्णय लिया है। कांग्रेस खड़गपुर सदर और कालियागंज से चुनाव लड़ेगी और करीमपुर से वाम दल मैदान में होगा।
उम्मीद की जा रही है कि राजनीतक पार्टियां अगले कुछ ही दिनों में अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा करेंगी। आम चुनाव के दौरान, खड़गपुर सदर और कालियागंज विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा सबसे आगे थी, जबकि करीमपुर में तृणमूल का दबदबा था।