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बिहार राज्य के डुमरांव में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है अन्य मंदिरों की तरह पूजा पाठ होती, लेकिन इस मंदिर में आम भक्तों के अलावा तंत्र साधना के साधक अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आते हैं। इस मंदिर में, महामाया, महाविद्या दक्षिणेश्वरी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मां भगवती विराजमान हैं। इस मंदिर में खासकर नवरात्रि के दिनों हजारों की संख्या में भक्त आते हैं।
मंदिर में एक साथ तीन माताएं विराजमान हैं
उक्त मंदिर में मुख्य रूप से देवी माँ राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के अलावा बंगलामुखी माता, तारा माता आदि महाविद्याओं के अलावा पांच भैरव- दत्तात्रेय भैरव, बटुक भैरव, अन्नपूर्णा भैरव, काल भैरव व मातंगी भैरव की प्रतिमा भी स्थापित हैं। इनके अलावा भी मंदिर में काली, त्रिपुर भैरवी, धुमावती, तारा, छिन्न मस्ता, षोड़सी, मातंगड़ी, कमला, उग्र तारा, भुवनेश्वरी आदि दस महाविद्याएं भी विराजमान है। इन्हीं के कारण खासकर यहां देश भर के कई तांत्रिकों का आना जाना साल भर लगा रहता है।
मंदिर के बारे में..
कहा जाता है कि इस प्रसिद्ध मंदिर एवं मूर्ति की स्थापना लगभग 400 वर्ष पहले एक सिद्ध तांत्रिक भक्त ने अपनी तंत्र साधना करवाई थी। भक्तों की मान्यता है कि माता के इस सिद्ध मंदिर में बैठकर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भक्तों की सैकड़ों मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। खास बात यह है कि यहां माता को केवल सुखे मेवे का भोग ही लगाया जाता है।
मंदिर की मूर्तियां करती है आपस में बात
उक्त राज राजेश्वरी माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर के बारे में यहां के पुजारी, यहां आने वाले श्रद्धालु भक्तों का मानना है कि यहां स्थापित तीनों देवी माताओं की मूर्तियों से एक दूसरे को बोलने की आवाजे आती है। कहा जाता है कि आधी रात में जब यहां से कोई आता जाता है तो उन्हें यहां स्थापित निस्तब्ध निशा वाली मूर्तियों से बोलने की आवाज सुनाई पड़ती है। श्रद्धालु भक्तों का कहना है कि- स्पष्ट सुनाई देता है मानों निस्तब्ध निशा में मूर्तियां एक दूसरे से आपस में बातें कर रही हो। इस मंदिर के बारे में खोज करने वाले देश की कई वैज्ञानिक भी इस मंदिर को एक चमत्कारी मंदिर मानते हैं।
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