वाहन सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं
अस्पताल प्रशासन की ओर से पार्किंग के नाम पर राशि लेने के बावजूद वाहन के सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं है। पार्किंग में एक बार पर्ची कटने के बाद कोई व्यक्ति वाहन उठाकर रवाना हो जाए। उसे रोका या टोका नहीं जाता है। पाली के बांगड़ मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ही कई बार वाहन चोरी की वारदात हो चुकी है। जबकि अस्पताल परिसर में कई जगह पुलिस चौकी तक है।
अस्पताल प्रशासन की ओर से पार्किंग के नाम पर राशि लेने के बावजूद वाहन के सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं है। पार्किंग में एक बार पर्ची कटने के बाद कोई व्यक्ति वाहन उठाकर रवाना हो जाए। उसे रोका या टोका नहीं जाता है। पाली के बांगड़ मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ही कई बार वाहन चोरी की वारदात हो चुकी है। जबकि अस्पताल परिसर में कई जगह पुलिस चौकी तक है।
पर्ची में भी गोलमाल
पार्किंग की जो पर्ची दी जाती है, उस पर वाहनों के पूरे नम्बर ही नहीं लिखे जाते हैं। सिर्फ पिछले चार अंकों के नम्बर लिख देते हैं। ये भी नहीं लिखते हैं कि सीरिज कौनसी है। कई बार लोग पर्ची पर वाहन के पूरे नम्बर लिखने को बोलते हैं, लेकिन कार्मिक किसी की नहीं सुनते।
पार्किंग की जो पर्ची दी जाती है, उस पर वाहनों के पूरे नम्बर ही नहीं लिखे जाते हैं। सिर्फ पिछले चार अंकों के नम्बर लिख देते हैं। ये भी नहीं लिखते हैं कि सीरिज कौनसी है। कई बार लोग पर्ची पर वाहन के पूरे नम्बर लिखने को बोलते हैं, लेकिन कार्मिक किसी की नहीं सुनते।
पार्किंग स्थल भी तय नहीं
प्रदेश के अधिकांश चिकित्सालयों में पार्किंग शुल्क लेने के बाद वाहन चालक मनमर्जी से किसी भी जगह पर वाहन खड़ा कर देते हैं। उस पर कोई पाबंदी नहीं है। ऐसे में कई बार एम्बुलेंस के अस्पताल भवन पहुंचने वाले मार्ग तक बाधित होते है। पाली बांगड़ चिकित्सालय के पार्किंग के सामने एम्बुलेंसों के साथ अन्य निजी वाहन खड़े रहते हैं। ऐसा ही हाल ब्लड बैंक के सामने व आउटडोर अस्पताल गेट नम्बर दो व मातृ-शिशु विभाग के बाहर का है।
प्रदेश के अधिकांश चिकित्सालयों में पार्किंग शुल्क लेने के बाद वाहन चालक मनमर्जी से किसी भी जगह पर वाहन खड़ा कर देते हैं। उस पर कोई पाबंदी नहीं है। ऐसे में कई बार एम्बुलेंस के अस्पताल भवन पहुंचने वाले मार्ग तक बाधित होते है। पाली बांगड़ चिकित्सालय के पार्किंग के सामने एम्बुलेंसों के साथ अन्य निजी वाहन खड़े रहते हैं। ऐसा ही हाल ब्लड बैंक के सामने व आउटडोर अस्पताल गेट नम्बर दो व मातृ-शिशु विभाग के बाहर का है।
अस्पतालों की खुद की व्यवस्था
अस्पतालों की ओर से आरएमआरएस के तहत प्रस्ताव लेकर अपने स्तर पर पार्किंग की व्यवस्था की जाती है। पार्किंग की व्यवस्था नो प्रोफिट नो लोस के आधार पर की जाती है। कई चिकित्सालयों में आरएमआरएस के तहत चौकीदार को लगा रखा है। बड़े अस्पतालों में ठेके पर पार्किंग दी जाती है।
अस्पतालों की ओर से आरएमआरएस के तहत प्रस्ताव लेकर अपने स्तर पर पार्किंग की व्यवस्था की जाती है। पार्किंग की व्यवस्था नो प्रोफिट नो लोस के आधार पर की जाती है। कई चिकित्सालयों में आरएमआरएस के तहत चौकीदार को लगा रखा है। बड़े अस्पतालों में ठेके पर पार्किंग दी जाती है।
डॉ. जोगेश्वर प्रसाद, जॉइंट डायरेक्टर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, जोधपुर