यह है नस्ल के अनुसार श्वान की खासियत
लेब्राडोर- शांति स्वभाव का श्वान है। यह अधिकतर काले, गोल्डन व सिल्वर रंग का होता है। यह परिवार में रखने लायक श्वान माना जाता है। जर्मन शेफर्ड- यह शिकारी श्वान है। इसके कान खड़े होते है। इसकी बनावट लोमड़ी के समान होती है। मुंह भी लोमड़ी से मिलता हुआ सा लगता है। पोमेलीयन- सफेर रंग का श्वान होता है। यह घर में अलार्म घड़ी की तरह होता है। जो हल्की सी आहट से चौकन्ना होकर भौंकने लग जाता है। पग- ये टॉय की तरह है। शांत होता है। यह ज्यादातर काटता नहीं है।
लेब्राडोर- शांति स्वभाव का श्वान है। यह अधिकतर काले, गोल्डन व सिल्वर रंग का होता है। यह परिवार में रखने लायक श्वान माना जाता है। जर्मन शेफर्ड- यह शिकारी श्वान है। इसके कान खड़े होते है। इसकी बनावट लोमड़ी के समान होती है। मुंह भी लोमड़ी से मिलता हुआ सा लगता है। पोमेलीयन- सफेर रंग का श्वान होता है। यह घर में अलार्म घड़ी की तरह होता है। जो हल्की सी आहट से चौकन्ना होकर भौंकने लग जाता है। पग- ये टॉय की तरह है। शांत होता है। यह ज्यादातर काटता नहीं है।
इन बातों का रखना चाहिए ख्याल
● श्वान को घर में लाने पर पशु चिकित्सक से टीकाकरण की सूची तैयार करवाकर टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए।
● श्वान का घर में स्थान व भोजन का समय तय होना चाहिए।
● श्वान को आठ से दस दिन में एक बार नहलाना चाहिए। उसके ब्रश या कंधी रोजाना करनी चाहिए। श्वान को नहलाने में उससे जुड़े साबुन या शैंपू का ही उपयोग करना चाहिए। ● श्वान के पेट में किड़े हो जाते है। उसे हर तीन माह में नियमित किड़े मारने की दवा जरूर दिलवानी चाहिए।
● श्वान को घर में बांधकर रखना चाहिए।
● श्वान को ज्यादा मीठा नहीं देना चाहिए। उसे खाने में दूध, दही, छाछ, चावल, सोयाबिन या अन्य डॉग फूड ही देना चाहिए।
● श्वान को नमी वाली जगह पर नहीं बैठाना चाहिए।
● डॉग को उल्टी-दस्त होने पर तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
● श्वान को अपने बिस्तर पर नहीं लाना चाहिए। अपने साथ नहीं सुलाना चाहिए।
● श्वान के साथ खेलने या घुमाने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करना जरूरी है।
● श्वान में त्वचा सम्बन्धी फंगस होने पर वे इंसानों में फैलने की संभावना रहती है। इसलिए फंगस का ख्याल रखना जरूरी है।
● श्वान को घर में लाने पर पशु चिकित्सक से टीकाकरण की सूची तैयार करवाकर टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए।
● श्वान का घर में स्थान व भोजन का समय तय होना चाहिए।
● श्वान को आठ से दस दिन में एक बार नहलाना चाहिए। उसके ब्रश या कंधी रोजाना करनी चाहिए। श्वान को नहलाने में उससे जुड़े साबुन या शैंपू का ही उपयोग करना चाहिए। ● श्वान के पेट में किड़े हो जाते है। उसे हर तीन माह में नियमित किड़े मारने की दवा जरूर दिलवानी चाहिए।
● श्वान को घर में बांधकर रखना चाहिए।
● श्वान को ज्यादा मीठा नहीं देना चाहिए। उसे खाने में दूध, दही, छाछ, चावल, सोयाबिन या अन्य डॉग फूड ही देना चाहिए।
● श्वान को नमी वाली जगह पर नहीं बैठाना चाहिए।
● डॉग को उल्टी-दस्त होने पर तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
● श्वान को अपने बिस्तर पर नहीं लाना चाहिए। अपने साथ नहीं सुलाना चाहिए।
● श्वान के साथ खेलने या घुमाने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करना जरूरी है।
● श्वान में त्वचा सम्बन्धी फंगस होने पर वे इंसानों में फैलने की संभावना रहती है। इसलिए फंगस का ख्याल रखना जरूरी है।