वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ शुरू हुआ मज़ा जल्द ही जुनून बन गया
नरेंद्र ने बताया कि मैं बचपन में बहुत लंबा नहीं था, इसलिए यह नाम मेरे साथ नन्हा जुड़ गया। अब मेरी लंबाई ठीक-ठाक है, लेकिन नन्हा नाम अभी भी बना हुआ है। उन्होंने यूट्यूब पर पीकेएल के ‘राइज ऑफ ए स्टार’ इंटरव्यू में कहा कि बचपन में मैं कबड्डी के मैदानों की ओर आकर्षित होता था, जहां बड़े लड़के खेलते थे। वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ जो मज़ा शुरू हुआ, वह जल्द ही जुनून बन गया। पहले मैं सिर्फ़ एक दर्शक था, जिसके ज़्यादा दोस्त नहीं थे, लेकिन इससे पहले कि मैं समझ पाता, कबड्डी ने मुझे एक परिवार दे दिया।
‘मेरे परिवार और मेरे कोच ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई’
नरेंद्र ने बताया कि उनके समर्पण ने स्थानीय कबड्डी कोच संदीप कंडोला का ध्यान आकर्षित किया। कोच ने कहा कि खेल में उसकी इतनी दिलचस्पी देखकर मैंने उसे हर दिन खेलने के लिए प्रेरित किया। कंडोला के मार्गदर्शन में नरेंद्र के कौशल निखर कर सामने आए। नरेंद्र ने कहा कि मेरे परिवार और मेरे कोच ने कबड्डी खिलाड़ी के रूप में मेरे विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने हरियाणा के हमारे गांव में खेल खेलने की परंपरा को बनाए रखा है।
‘पहले कोई भी कबड्डी खिलाड़ी को नहीं पहचानता था’
जैसे-जैसे नरेंद्र की प्रतिभा बढ़ी, वैसे-वैसे उनके सपने भी बढ़ते चले गए। हालांकि पहचान मिलने की राह आसान नहीं थी। नरेंद्र ने कहा कि पहले मैं जहां भी जाता था, कोई भी कबड्डी खिलाड़ी को नहीं पहचानता था, लेकिन प्रो कबड्डी लीग से परिचय के बाद सब कुछ बदल गया। अब प्रो कबड्डी लीग और मशाल स्पोर्ट्स की बदौलत हर कोई मुझे पहचानता है। उन्होंने कहा कि लीग ने कबड्डी खिलाड़ियों की पहचान बढ़ाने में मदद की है। इससे मुझे भी बहुत फायदा हुआ है, चाहे पैसे की बात हो या पहचान की। और सिर्फ मेरी ही नहीं, लीग ने सभी कबड्डी खिलाड़ियों की जिंदगी बदल दी है।
‘अपना काम करो, परिणाम की चिंता मत करो’
बता दें कि नरेंद्र को पीकेएल सीजन 9 में तमिल थलाइवाज ने बड़ा ब्रेक दिया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सीजन 9 से सीजन 10 और अब 11वां सीजन खेलने को तैयार हैं। कबड्डी मैच की तरह उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव को याद करते हुए नरेंद्र ने कहा कि उनका एक मंत्र है। अपना काम करो, परिणाम की चिंता मत करो।