– अशोक कुमार जाणी, बाड़मेर
—————————————— उत्पादन पर लगे रोक
प्लास्टिक का उत्पादन बंद कर, सूखी सामग्री को कागज के थैलों और गीली सामग्री को कांच या धातु के डिब्बों में पैक किया जाए। उत्पादन रोकने से समस्या स्वत: समाप्त हो जाएगी।
– सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
———————————— प्रशासनिक कमजोरी दूर करना होगा
प्लास्टिक के प्रतिबंधित होने के बावजूद इसका उपयोग प्रशासन और उद्योगों की मिलीभगत का नतीजा है। सबसे पहले खाद्य पैकेजिंग और फुटकर दुकानों पर प्लास्टिक का उपयोग सख्ती से रोकना होगा।
– हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्य प्रदेश
————————————– व्यापक जन-जागरण बहुत जरुरी
सरकारी अभियान केवल औपचारिकता हैं। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संगठनों को शामिल कर देशव्यापी जागरूकता फैलानी होगी। जन भागीदारी से ही प्लास्टिक मुक्त भारत संभव है।
– आशुतोष शर्मा, एडवोकेट, जयपुर
——————————————– दुकानदारों भी करें पहल
हर दुकानदार अपनी दुकान पर “प्लास्टिक का उपयोग न करें” का बोर्ड लगाए। इससे ग्राहक खुद कपड़े के थैले लाने को प्रेरित होंगे।
– प्रियव्रत चारण , जोधपुर
——————————————— प्लास्टिक उत्पाद पर भी लगे रोक
प्लास्टिक कचरे से मुक्ति के लिए इसका उत्पादन बंद करना होगा। इसके स्थान पर कागज और कपड़े के थैलों को बढ़ावा देना चाहिए।
– राजकुमार पाटीदार, झालावाड़
——————————————- टिकाऊ और किफायती विकल्प
जूट और कागज के थैलों को सस्ता बनाकर प्लास्टिक उन्मूलन संभव है। वैकल्पिक सामग्री के लिए सरकार को प्रोत्साहन देना चाहिए। – विनायक गोयल, रतलाम
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खुद की आदत बदलें
प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए खुद कपड़े का थैला इस्तेमाल करें। दुकानदारों को भी प्लास्टिक बैग न देने के लिए प्रेरित करें। – अजीतसिंह सिसोदिया, बीकानेर
———————————– सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध
सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर बायोडिग्रेडेबल विकल्प जैसे जूट और कपड़े के थैलों को बढ़ावा देना चाहिए। जागरूकता अभियान से लोगों को शिक्षित करना जरूरी है।
– पंकज श्योराण, हनुमानगढ़