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ओपिनियन

आपकी बात: जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर बार-बार सवाल क्यों उठते हैं?

आपकी बात में पूछे गए सवाल पर पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। पेश हैं उनमें से चुनी हुई प्रतिक्रियाएंः

Mar 27, 2024 / 07:39 pm

Nitin Kumar

राजनीतिक चश्मे से देखी जाती है कार्रवाई
जांच एजेंसियां सरकार के अधीन कार्य करती हैं और उसी के आदेश पर कार्रवाई करती हैं। इस कारण उनकी हर कार्रवाई को राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है। किसी भी देश में जांच एजेंसियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। भारत की कुछ जांच एजेंसियों की विश्वभर में साख है। कार्रवाई करने पर विपक्ष का हो-हल्ला शुरू हो जाता है। विपक्ष ऐसी कार्रवाई को सत्ता से प्रभावित मान सवाल उठाता है।
-आर्यन वीर, सूरतगढ़ (राजस्थान)
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जांच एजेंसियों को करने दें अपना काम
जांच एजेंसियां न तो किसी राजनीतिक दल के अधीन होती हैं, न केंद्र सरकार का ही कोई हस्तक्षेप रहता है। यह पुख्ता साक्ष्य के बाद संवैधानिक रूप से समन जारी करती हैं और अपनी बेगुनाही के प्रमाण प्रस्तुत करने का अवसर भी देती हैं। ऐसे में जब किसी राजनीतिक दल के भ्रष्टाचारी को ये जांच एजेंसियां पकड़ती हैं तो वे इन पर आरोप लगाने लगते हैं। सही तो यही होगा कि शोर मचाने और आरोप लगाने के बजाय जांच एजेंसियों को अपना काम करने दें ।
-रेखा उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ एमसीबी, छत्तीसगढ़
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भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं
जांच एजेंसियां अपना काम निष्पक्ष होकर बढ़िया तरीके से करती हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियों की दखलंदाजी की वजह से चर्चाओं में आ जाती हैं । जिस दल के नेता पर कार्यवाही होती है, वही बेवजह टीका-टिप्पणी करने लगते हैं। सीबीआइ हो या ईडी में काम करने वाले, हैं तो अपने ही समाज के। कई बार तो जांच एजेंसियों वाले कार्मिकों का तुरंत तबादला भी हो जाता है। भ्रष्टाचार इतना फैल रहा है, जिसकी कोई सीमा नहीं। अपने दांवपेंच लगाकर मामलों को रफा-दफा करने के चक्कर के कारण भी ये चर्चा में आ जाती हैं।
-निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़, अलवर
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जांच एजेंसियों के बारे में विपक्ष पूर्वाग्रह से ग्रस्त
जांच एजेंसियां सत्ताधारी राजनीतिक दल के हाथों की कठपुतलियां बन गई हैं, यह सोच विपक्षी दलों ने बना ली है। इन विरोधियों ने अपनी इस सोच के सहारे जनता को भी काफी हद तक अपने प्रभाव मे ले लिया है। यही वजह है कि जांच एजेंसियां अपना काम अच्छा करे या बुरा, बुराई का ठीकरा इनके सिर ही फोड़ने का सिलसिला चल निकला है। कोई भी जांच हो, देश भर मे उनके विरोध में बार-बार सवाल उठाना एक चलन-सा बनता जा रहा है।
-नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
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दबाव में कार्य न करें जांच एजेंसियां
आजकल जांच एजेंसियों पर राजनीति हावी है। सत्ता पक्ष इनको अपने इशारे पर काम करने को मजबूर करता है। सत्ता पक्ष लोगों का ध्यान हटाने के लिए और चुनावी वैतरणी पार करने के लिए इन एजेंसियों का गलत उपयोग करता है। प्राय: विपक्ष के नेता ही इनके निशाने पर रहते हैं। जांच एजेंसियों को किसी के भी दबाव में न आकर निष्पक्ष और स्वतंत्र रहकर ही कार्य करना चाहिए।
-नरपत सिंह चौहान, जैतारण पाली, राजस्थान

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