नया साल आ गया है और हम सभी नए रेजलूशन यानी संकल्प के बारे में विचार कर रहे हैं। मैं लीडरशिप के बारे में चर्चा करता रहा हूं, और मानता हूं कि अपने जीवन के लीडर हम स्वयं हैं। इसीलिए, एक नए कैलेंडर की शुरुआत केवल पन्ना पलटना नहीं है, बल्कि हमारी उस व्यक्तिगत क्षमता के बारे में है जो न सिर्फ स्वयं को, बल्कि हमारे राष्ट्र को भी ‘रिफॉर्म’ व ‘रिफ्रेश’ कर सके और ‘अमृत काल’ की ओर ले जाए। हमें ऐसी नेतृत्व क्षमता का विकास करना है जो सभी के लिए समृद्धि, एकता व प्रगति लाए।
भारत के नेतृत्व, जो परंपरागत रूप से राजनीतिक सत्ता के सोपानों तक ही सीमित है, को अब व्यक्ति, उम्र, पृष्ठभूमि या पंथ की परवाह किए बिना आगे बढऩा होगा। यह राष्ट्र केवल उच्च कार्यालयों में लिए गए निर्णयों से नहीं बल्कि अपने नागरिकों की सामूहिक इच्छाशक्ति और कार्यों से बना है। भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। यहां ‘स्टार्टअप इंडिया’ पहल नवोन्वेषी उद्यमिता में नेतृत्व का पोषण करती है, चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 उत्कृष्ट टीमवर्क और कभी न हार मानने वाली जिद को प्रतिध्वनित करते हैं, नाटू-नाटू की रचनात्मक गूंज विश्व में सुनाई देती है और जी20 शिखर सम्मेलन में हमारा प्रबंधकीय कौशल सूर्य-सा जगमगाता है।
आज भारत एक राजनयिक केंद्र के रूप में उभरने, संवाद आयोजित करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में अग्रणी है। महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना समावेशी नेतृत्व को रेखांकित करता है। यह समानता की ओर बढ़ते कदम को दर्शाता है और शासन के ढांचे में विविध आवाजों को सशक्त बनाने और एकीकृत करने के सामूहिक प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है।
हम संकल्प लें कि वर्ष 2024 हमारे विविध नेतृत्व प्रतिमानों का प्रमाण बने कि कैसे हर नागरिक पृष्ठभूमि या पेशे की परवाह किए बिना अपने नेतृत्व गुणों को प्रदर्शित कर सकता है। नेतृत्व क्षमता पदानुक्रम या उपाधियों तक ही सीमित नहीं है। यह कार्यों, दृढ़ता और उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करने की इच्छा में अंतर्निहित है। नए वर्ष के नए रेजलूशन के साथ ही, आइए, हम विविध नेतृत्व पहलुओं को अपनाएं और अधिक प्रगति के लिए तैयार भारत की दिशा में अपनी अद्वितीय शक्तियों का योगदान दें, क्योंकि भारत के लिए नेतृत्व की इस सामूहिक अभिव्यक्ति में ही एकीकृत और समृद्ध भविष्य निहित है।