scriptप्राकृतिक तत्त्वों से ही पृथ्वी पर जीवन की उपस्थिति ‘पानी है उत्पत्ति का आधार’ पर प्रतिक्रियाएं | reaction-on-gulab-kothari-article-sharir-hi-brahmand-6-july-2023 | Patrika News
ओपिनियन

प्राकृतिक तत्त्वों से ही पृथ्वी पर जीवन की उपस्थिति ‘पानी है उत्पत्ति का आधार’ पर प्रतिक्रियाएं

Reaction On Gulab Kothari Article : पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के विशेष लेख -‘पानी है उत्पत्ति का आधार’ पर प्रतिक्रियाएं

नई दिल्लीJul 06, 2024 / 04:52 pm

Anand Mani Tripathi

Reaction On Gulab Kothari Article :पानी के दो भागों मधुर और क्षार के जरिए संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति की व्याख्या पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने आलेखमाला ‘ शरीर ही ब्रह्मांड’ के आलेख ‘ पानी है उत्पत्ति का आधार’ में की है। पाठकों ने कहा है कि लेख पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति की तार्किक व्याख्या करते हुए समझाया है कि प्राकृतिक तत्त्व ही जीवन की उपस्थिति सुनिश्चित करते हैं। पाठकों की प्रतिक्रियाएं विस्तार से…
आलेख के माध्यम से पानी की उत्पत्ति का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय तरीके से काफी सुंदर वर्णन किया गया है। इसके जरिए पानी के मधुर और क्षार भाग का जो वर्णन किया है, वह वाकई में अद्भूत और ज्ञानवर्धक है। आलेख में वेद और गीता के उपनिषदों के उदाहरणों के माध्यम से जो गूढ़ रहस्य बताए हैं, वे प्रशंसनीय हैं।
पं. लेखराज शर्मा, भोपाल
पानी के बिना जीवन सम्भव नहीं है। पानी ही प्रकृति का पोषक है। पानी से ही प्रकृति पल्लवित पुष्पित होती है और मनुष्य जीवन में प्राण का संचार करती है। जीवन और जगत का मूल पानी ही है। पानी के मधुर और क्षार दो भाग होते हैं। जैसे ही पानी की बूंद जमीन पर गिरती है तो नई सृष्टि की उत्पत्ति करती है। जल पंचतत्वों में एक नारायण स्वरूप कहा गया है जो सम्पूर्ण जगत का पोषण करता है। पानी ही सबसे पहले उत्पन्न हुआ है। यह स्वयंभू का स्वेद ही है जिसे सृष्टि का आरम्भक कहा गया है।
डॉ शोभना तिवारी, निदेशक डॉ शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान, रतलाम
आत्मा ने ही खुद को जल में व्यक्त किया फिर जल में ही जलरूप बना और उस जलरूप ने ही करोड़ों रूप धरे। आत्मा को ब्रह्म स्वरूप कहा गया है। ऋग्वेद में जल को जीवन उत्पत्ति के मूल क्रियाशील प्रवाह के रूप में व्यक्त किया है, वही हिरण्यगर्भ रूप है। इस हिरण्यगर्भ रूप में ब्रह्म का संकल्प बीज पककर विश्व-रूप बनता है। ऐसे में जल को उत्पत्ति का आधार माना जाता हैं या माना जा सकता है।
पंडित कपिल महाराज शास्त्री, ज्योतिष आचार्य काली पुतली, बालाघाट
पानी है उत्पत्ति का आधार” में लेखक ने पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति की तार्किक एवं सार्थक व्याख्या की है प्राकृतिक तत्त्व ही जीवन की उपस्थिति को सुनिश्चित करते हैं, यह बात सभी को समझना चाहिए और प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। इतनी सुंदर व्याख्या के लिए साधुवाद!
डॉ. शरद सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार, सागर
आलेख में जीवन के दो पहलुओं को समझाया गया है। जैसे पानी के दो प्रकार होते हैं। एक मधुर एक क्षार जीवन के लिए मधुर पानी की आवश्यकता होती है। पानी का क्षार कोई काम का नहीं है। इसलिए हमें भी अपने विचारों में मधुरता लानी चाहिए। पानी के गुणों से हमें सीख लेनी चाहिए। जैसे समुद्र के क्षार युक्त पानी से हम प्यास भी नहीं बुझा सकते। वैसे ही अपने भाव से द्वेष को अलग कर प्रेम के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए।
पवन ठाकुर, मंडला
सृष्टि निर्माण की विस्तृत व्याख्या कोठारी ने अपने आलेख में की है। ब्रह्म की कामना और विश्व की इच्छा के बारे में आलेख के माध्यम से मार्गदर्शन किया गया है। आलेख में कई जटिल शब्दों को सरल शब्दों में बताया गया है ताकि लोग समझ सकें कि पानी ही सबसे पहले उत्पन्न हुआ है।
डॉ श्रीकृष्ण शास्त्री, भगवताचार्य, दतिया
सृष्टि में पानी की एक बूंद की भी कीमत का अंदाजा लगाना मुमकिन ही नहीं है। पानी के बिना न तो इंसान जीवित रह सकता है और न सृष्टि में विचरण करने वाले कोई भी जीव इसके बिना रह सकते हैं। पानी की कीमत और महत्ता देखनी है तो उन देशों या शहरों में जाकर देखें जहां बूंद- बूंद के लिए लोग संघर्ष करते नजर आते हैं। खासकर अफ्रीकी देशों में पानी का मूल्य पता चलता है। वहीं भारत में जितना प्रकृति ने अपना प्रेम लुटाया है हमने उतना ही उसका दुरुपयोग किया है। पानी की कीमत लोग यहां नहीं जानते हैं। आधे से ज्यादा पीने का पानी हम बर्बाद करते हैं। इस बार गर्मी जितनी पड़ी उसने पानी और पेड़ों की कीमत बताई है। यदि अब भी हम प्रकृति के इन संकेतों को नहीं समझे तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।
पवन तिवारी, सुख दुख परिवार संयोजक, जबलपुर

Hindi News/ Prime / Opinion / प्राकृतिक तत्त्वों से ही पृथ्वी पर जीवन की उपस्थिति ‘पानी है उत्पत्ति का आधार’ पर प्रतिक्रियाएं

ट्रेंडिंग वीडियो