ओपिनियन

दो टूक: रोटी का सवाल

‘वोट सबसे कीमती है, मगर गरीब के लिए वोट सिर्फ रोटी का जुगाड़ है’, यह बात राजस्थान में खाद्य सुरक्षा योजना की दुर्दशा को बयां करती है।

जयपुरNov 20, 2024 / 09:26 am

Amit Vajpayee

अमित वाजपेयी
‘वोट सबसे कीमती है, मगर गरीब के लिए वोट सिर्फ रोटी का जुगाड़ है’, यह बात राजस्थान में खाद्य सुरक्षा योजना की दुर्दशा को बयां करती है। खाद्य सुरक्षा योजना जो गरीबों के लिए रोटी का सवाल है, आज राजनीतिक और प्रशासनिक उलझनों में फंसी हुई है।
राज्य सरकार ने बीते ढाई साल से इस योजना में नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है। नतीजतन 13 लाख परिवार खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ लेने से वंचित हैं। यह एक ऐसा आंकड़ा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अनुसार जनसंख्या के आधार पर लाभार्थियों की संख्या तय की जाती है। बीते 13 साल में राज्य की जनसंख्या में निश्चित रूप से वृद्धि हुई होगी। फिर भी सरकार और प्रशासन इस तथ्य को नजरअंदाज कर रहे हैं। मौजूदा सरकार को एक साल पूरा होने आया, लेकिन पिछली सरकार का जादू अब तक कायम है।
यह भी पढ़ें

दो टूक: जख्मों पर मरहम

यह एक गंभीर मुद्दा है। एक तरफ, पात्र परिवार भूखे पेट सो रहे हैं और दूसरी तरफ, अपात्र लाभार्थी योजना का लाभ उठा रहे हैं। सरकार और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग दोनों ही इस बात को मानते हैं कि अपात्र लाभार्थी हैं, लेकिन पात्रों के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
अब सवाल उठता है कि ऐसी स्थिति क्यों है? जवाब है कि ब्यूरोक्रेसी में लचीलेपन का अभाव है। नियम और कागजी औपचारिकताओं में उलझे हुए अधिकारी नई परिस्थितियों के अनुकूल ढलने में असमर्थ हैं। साथ ही राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी अभाव है। सरकार की प्राथमिकताएं अन्य मुद्दों पर केंद्रित हैं और गरीबों के मुद्दे उसके लिए गौण हैं। तंत्र बीते सात साल में तीन बार अपात्र लाभार्थियों के नाम हटाने का प्रयास कर चुका है। हालांकि इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली।
यह भी पढ़ें

दो टूक: ट्रैफिक पुलिस का हर शहर में एक ही नियम… ‘रोको, मत जाने दो’

अब सवाल यह कि आखिर करना क्या चाहिए? इसका जवाब है, सबसे पहले तो नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाए। साथ ही बदलती परिस्थितियों के अनुसार नियमों में बदलाव की शुरुआत हो। नियमों में लचीलापन जरूरी है। तकनीक का उपयोग और सख्त कार्रवाई करके अपात्र लाभार्थियों को योजना से बाहर किया जाए। खाद्य सुरक्षा योजना केवल एक योजना नहीं है, यह गरीबों के जीवन का सवाल है। सरकार और प्रशासन को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा और तत्काल कदम उठाना होगा।

Hindi News / Prime / Opinion / दो टूक: रोटी का सवाल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.