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Patrika Opinion: सेहत संबंधी निर्देशों की पालना पर भी रहे नजर

लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों को जानकारी होनी ही चाहिए कि इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए कितना उपयुक्त अथवा अनुपयुक्त है।

जयपुरJul 08, 2024 / 10:38 pm

Nitin Kumar

जिंदगी की भागमभाग के बीच सेहत की चिंता जरूर करनी चाहिए। इसी चिंता को देखते हुए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने फूड मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर मोटे अक्षरों में अंकित कर उपभोक्ताओं को बताएं कि इनमें चीनी, नमक या सैचुरेटेड पदार्थ की मात्रा कितनी है। प्राधिकरण के ये निर्देश स्वागत योग्य हैं क्योंकि हमारी व्यस्त जिंदगी का हिस्सा बनते जा रहे डिब्बाबंद फूड कई मामलों में सेहत के लिए खतरनाक भी साबित होते जा रहे हैं। लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों को जानकारी होनी ही चाहिए कि इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए कितना उपयुक्त अथवा अनुपयुक्त है। एफएसएसएआइ को अब निर्देशों की पालना भी तय करनी होगी।
पोषण संबंधी मूल्यों की जानकारी देने के साथ प्राधिकरण ने डिब्बाबंद खाद्य सामग्री पर खास तौर से फलों के रस के लेबल और विज्ञापनों से ‘शत-प्रतिशत फलों का रस’ और गेहूं के आटे पर परिष्कृत आटा या खाद्य तेलों पर पोषण संबंधी दावों को हटाने के निर्देश दिए हैं। माना जाता है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड स्वाभाविक रूप से इनकी पैकिंग प्रक्रिया के कारण मूल तत्वों से अलग होते हैं। ऐसे में किसी फूड में शुगर अथवा नमक की मात्रा स्पष्ट अंकित हो तो उपभोक्ता अपनी सेहत के हिसाब से इनका सेवन करने या न करने के बारे में फैसला कर सकता है। अभी तो यह देखने में आ रहा है कि पैकेजिंग पर इसके बारे में जानकारी होती भी है तो इतने बारीक अक्षरों में कि सामान्य आंखों से भी पढऩा मुश्किल हो जाता है। नमक, चीनी अथवा वसा की मात्रा पर जानकारी देने का यह फैसला इसलिए भी अहम कहा जा सकता है क्योंकि आम भारतीय के भोजन में पोषक तत्वों की कमी आती जा रही है। फल, दूध, अनाज व दालें तक आज वैसी पौष्टिकता लिए नहीं मिलती जितनी चार-पांच दशक पहले उपलब्ध होती थीं। यही वजह है कि भोजन में पोषक तत्वों की कमी व्यक्ति की शारीरिक क्षमता पर तो प्रतिकूल प्रभाव डालती ही है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती है।
रही डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की बात, इनका ज्यादा सेवन मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोगों को निमंत्रण देने वाला हो सकता है। चिकित्सक भी खास तौर से बच्चों को इनसे दूर रखने की सलाह देते हैं। होना तो यह भी चाहिए कि तम्बाकू व सिगरेट की तरह डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों पर चेतावनी का लेबल भी लगे। इसके जरिए बताया जाए कि अमुक मात्रा में चीनी या नमक की मात्रा के कारण इस उत्पाद का सेवन सेहत के लिए हानिकारक है।

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