बांग्लादेश के बाद अब सीरिया में तख्तापलट की घटना को भारत को गंभीरता से लेना होगा। भले ही सीरिया, बांग्लादेश की तरह भारत का पड़ोसी नहीं हो लेकिन यह तख्तापलट भारत के लिए राजनीतिक व आर्थिक चिंताओं का सबब बन सकता है। अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद के रूस भाग जाने के बाद मोहम्मद अल-बशीर […]
बांग्लादेश के बाद अब सीरिया में तख्तापलट की घटना को भारत को गंभीरता से लेना होगा। भले ही सीरिया, बांग्लादेश की तरह भारत का पड़ोसी नहीं हो लेकिन यह तख्तापलट भारत के लिए राजनीतिक व आर्थिक चिंताओं का सबब बन सकता है। अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद के रूस भाग जाने के बाद मोहम्मद अल-बशीर को देश का अंतरिम पीएम बना दिया गया। अल-बशीर, विद्रोही आतंकी समूह हयात तहरीर अल-शम के एक प्रमुख अधिकारी और पॉलिटिकल चीफ भी हैं। हालांकि भारत सीरिया के घटनाक्रम पर नजर रखते हुए वहां शांति और स्थिरता की बहाली की बात पहले ही कह चुका है। भारत और सीरिया के बीच द्विपक्षीय संबंध गुटनिरपेक्ष आंदोलन के दौर से चले आ रहे हैं। दोनों देशों का सांस्कृतिक और राजनीतिक मेलजोल भी ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहा है।
सीरिया में खाड़ी देशों की तरह भारतीय प्रवासियों की वैसे बड़ी आबादी नहीं है, लेकिन भारत ने असद शासन के साथ भी हमेशा अपने रिश्ते बनाए रखे। इतना ही नहीं सीरिया में 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध के दौरान में भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीरिया की संप्रभुता के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। भारत ने दमिश्क में अपना दूतावास जारी रखा, जो दोनों देशों के बीच मजबूत राजनयिक संबंधों का प्रतीक है। तख्तापलट की इस घटना के बाद आशंका यही बनने लगी है कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आइएसआइएस) और अन्य आतंकवादी संगठनों के उभरने का खतरा बढ़ सकता है। दमिश्क में आतंकी संगठन सत्ता पर काबिज होते हैं तो भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को देखते हुए सीरिया के साथ भी वैसा ही बर्ताव करना होगा जैसा आतंकवाद को पोषित करने वाले दूसरे देशों के साथ। हमें यह भी देखना होगा कि भारत और सीरिया के बीच पावर प्लांट, आइटी इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टील प्लांट आधुनिकीकरण और तेल क्षेत्र में आर्थिक साझेदारी भर है। भारत से सीरिया को दवाइयां, कपड़े और मशीनरी जैसे उत्पाद निर्यात किए जाते हैं, जबकि सीरिया से भारत रॉक फॉस्फेट और कपास आयात करता है।
यह साझेदारी दोनों देशों के आर्थिक हितों के लिए बनी रहना भी महत्त्वपूर्ण है। सीरिया में राजनीतिक अस्थिरता के मौजूदा दौर में भारत को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। उसे न केवल अपने पारंपरिक साझेदारों के साथ संतुलन बनाए रखना होगा बल्कि मिडिल ईस्ट में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत रखते हुए नई सामरिक चुनौतियों पर भी नजर रखनी होगी।
Hindi News / Prime / Opinion / Opinion : नई सामरिक चुनौतियों पर नजर रखनी होगी भारत को