राजनीति में टिकट खरीद फरोख्त के आधार पर अथवा बड़े राजनीतिक नेता की मेहरबानियों से प्राप्त होता है। यह लोकतांत्रिक दृष्टि से उचित नहीं है। राजनीतिक दलों को टिकट जनप्रतिनिधि की शैक्षिक योग्यता, लोकप्रियता व रुचि देख कर ही दिया जाना चाहिए। सेवाभावी जनप्रतिनिधि ही लोकतंत्र के लिए श्रेष्ठ सिद्ध होता है।
आजाद पूरण सिंह राजावत, जयपुर
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प्रत्याशियों को टिकट उनकी जाति, समुदाय और धर्म के आधार मिलता है। जिस सीट पर जिस जाति या समुदाय का बहुमत है वहां टिकट भी उसी समुदाय को दिया जाता है। दल को टिकट के लिए प्रत्याशी के कार्य, मेहनत और लोगों के बीच स्वीकार्यता का पैमाना होना चाहिए।
— गजेंद्र चौहान, कसोदा, जिला डीग
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राजनीतिक दलों का टिकट बंटवारे का आधार जातिवाद है। जो अपने इलाके में दबंगई वाले हैं या वे धन देकर पार्टी का टिकट खरीदते हैं। राजनीति में ऐसे लोगों का प्रवेश उचित नहीं है।
— हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश
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राजनीतिक दल अपने टिकट को विभिन्न मापदंडों पर आधारित करते हैं। इनमें सहयोग, विचारधारा, भूमिका, प्रचार, और विजय की संभावनाओं का मूल्यांकन शामिल होता है। राजनीतिक पार्टियों की नीतियों, विचारधाराओं और उनके विरोधियों के प्रति जनमत का भी महत्व होता है। साथ ही उम्मीदवारों के अनुभव, पूर्व रिकॉर्ड, और लोकप्रियता भी टिकट देने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
—संजय माकोड़े बैतूल
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राजनैतिक दलों का टिकट देने के दो ही आधार होते हैं। पहला जिताऊ उम्मीदवार और दूसरा मतदाता का जातिगत बाहुल्य। यदि उम्मीदवार अपराधी छवि वाला भी हो तो उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।
— हुकुम सिंह पंवार, टोड़ी इन्दौर
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प्रत्याशी की जीतने की संभावनाओं के आधार पर चुनाव में टिकट दिए जाते हैं। जातिगत समीकरणों पर भी विचार किया जाता है। क्षेत्र में उम्मीदवार की लोकप्रियता एवं जन समर्थन का भी ध्यान रखा जाता है। प्रत्याशी की छवि को भी तवज्जो दी जाती है।
— ललित महालकरी, इंदौर
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राजनीतिक पार्टी टिकट उसी को देती है, जो आर्थिक रूप से मजबूत हो। अयोग्य लोग धनबल के माध्यम से राजनीति करते हैं। जबकि योग्य आदमी के लिए राजनीति में कोई स्थान नहीं है। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
— मेघवंशी लुम्बा राम सिद्धप, बालेसर, जोधपुर