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नेतृत्व: समय के अनुसार बदलें शैली

टीम की जरूरतों व प्रस्तुत चुनौतियों के लिए दृष्टिकोण अनुकूलित करें लीडर

जयपुरSep 30, 2024 / 10:14 pm

Nitin Kumar

प्रो. हिमांशु राय
निदेशक, आइआइएम इंदौर
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हर स्थिति में टीम के सदस्य और चुनौतियां अलग होती हैं, और इसलिए प्रबंधकों और लीडरों को अनुकूलनशीलता अपनाने और निर्णय लेने के बाद परिणामों के लिए उत्तरदायी होना पड़ता है। यहीं पर परिस्थितिजन्य नेतृत्व यानी सिचुएशनल लीडरशिप का दृष्टिकोण उभरता है। पॉल हर्सी और केन ब्लैंचर्ड द्वारा 1960 के दशक में दी गई अवधारणा इस विचार पर आधारित है कि कोई भी एक नेतृत्व शैली सभी स्थितियों के लिए सर्वोत्तम नहीं है। परिस्थितिजन्य नेतृत्व के मूल में चार अलग-अलग शैलियां हैं। हर शैली कर्मचारी विकास और कार्य जटिलता के विभिन्न स्तरों के अनुकूल है। आइए, जानते हैं कि क्या हैं ये चार शैलियां –
1. निर्देशन (अधिक निर्देश, कम सहायक व्यवहार): इस शैली में विशिष्ट निर्देश देना और कार्यों की बारीकी से निगरानी करना शामिल है। यह तब सबसे प्रभावी होता है जब टीम के सदस्य किसी कार्य के लिए नए होते हैं या वे स्वतंत्र रूप से इसे पूरा करने के लिए जरूरी कौशल और आत्मविश्वास की कमी महसूस करते हैं।
2. प्रशिक्षण (अधिक निर्देश, अधिक सहायक व्यवहार): जब कर्मचारी मध्यम स्तर की क्षमता दिखाते हैं पर फिर भी मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, तो शिक्षण महत्त्वपूर्ण हो जाता है। प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान करते हुए निर्देश देना यहां आवश्यक है। यह शैली उन कर्मियों के लिए प्रभावी है जो सीख रहे हैं पर उनमें आत्मविश्वास या प्रेरणा की कमी हो सकती है।
3. समर्थन (निम्न निर्देश, अधिक सहायक व्यवहार): जैसे-जैसे टीम के सदस्य अधिक सक्षम और आत्मविश्वासी होते जाते हैं, उन्हें कम निर्देश और अधिक समर्थन की आवश्यकता होती है। लीडर सुनने, प्रोत्साहित करने और सुविधा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इस स्तर पर, कर्मचारी अक्सर कार्यों को स्वयं संभालने में सक्षम होते हैं पर अपनी स्वायत्तता को और विकसित करने के लिए लीडर के भरोसे और प्रोत्साहन से लाभान्वित होते हैं।
4. कार्य सौंपना, प्रतिनिधि बनाना (कम निर्देश, कम सहायक व्यवहार): अंतिम चरण में सक्षम और प्रेरित टीम के सदस्यों पर अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से भरोसा करना शामिल है। यहां, लीडर कर्मचारियों को निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र कर देता है और वे स्वतंत्र रूप से कार्य निष्पादित कर सकते हैं। कार्य सौंपने से जवाबदेही बढ़ती है और टीम के मनोबल और स्वामित्व में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
एक लीडर का कार्य वास्तविक समय में इन कारकों का मूल्यांकन व दृष्टिकोण को अनुकूलित करना है।

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