ये अकेले हरियाणा का मामला नहीं है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से लेकर केरल-तमिलनाडु तक एक जैसे हाल हैं। खनन माफियाओं, राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा अवैध खनन देश में लाइलाज बीमारी बन चुका है। राज्यों में किसी भी दल की सरकारें क्यों न हों, खनन माफियाओं को रोकने में विफल रही हैं। दस साल पहले मध्यप्रदेश में भी अवैध खनन माफिया के लोगों ने इसी तरह एक जांबाज आइपीएस अधिकारी नरेन्द्र कुमार को ट्रैक्टर ट्राली से कुचल कर मार डाला था। पांच साल पहले एक महिला आइएएस अधिकारी को भी यहां खनन माफियाओं की तरफ से जान से मारने की धमकी मिली थी। तब भी वहां की सरकार ने माफिया राज को खत्म करने का इरादा जताया था। पर नतीजा ‘ढाक के तीन पात।’
सब जानते हैं कि सिर्फ कानून बना देने भर से कुछ होने वाला नहीं। सरकार में बैठे लोगों की इच्छाशक्ति होनी चाहिए इन्हें कुचलने की। ये भी किसी से छिपा नहीं कि अवैध खनन माफिया और शराब माफिया सभी राजनीतिक दलों के नजदीक होते हैं। चुनाव लडऩे के लिए मोटी रकम का बंदोबस्त ऐसे ही लोग करते हैं। इन माफियाओं के निशाने पर ईमानदार अधिकारी ही होते हैं। हरियाणा में मारे गए पुलिस अधिकारी सुरेन्द्र सिंह इसी साल सेवानिवृत्त होने वाले थे।
घटना के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक भी दोषी को न बख्शने की बात कही है। पर क्या खट्टर सरकार को राज्य में हो रहे अवैध खनन की जानकारी नहीं थी। यदि थी और सरकार सख्त होती तो खनन माफियाओं के हौसले यों बुलंद न होते। ऐसी जघन्य वारदातें ईमानदार अधिकारियों को डराने की ही कोशिश है। अब देखना यह है कि न सिर्फ हरियाणा बल्कि दूसरी राज्य सरकारें भी इससे क्या सबक लेती हैं? सरकारें चाहे तो अवैध खनन के नासूर को समाप्त कर इनके वर्चस्व को खत्म कर सकती हैं। ऐसा होने से सरकार के खाते में पैसा भी आएगा और आम जनता को भी परेशानी से राहत मिलेगी।
घटना के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक भी दोषी को न बख्शने की बात कही है। पर क्या खट्टर सरकार को राज्य में हो रहे अवैध खनन की जानकारी नहीं थी। यदि थी और सरकार सख्त होती तो खनन माफियाओं के हौसले यों बुलंद न होते। ऐसी जघन्य वारदातें ईमानदार अधिकारियों को डराने की ही कोशिश है। अब देखना यह है कि न सिर्फ हरियाणा बल्कि दूसरी राज्य सरकारें भी इससे क्या सबक लेती हैं? सरकारें चाहे तो अवैध खनन के नासूर को समाप्त कर इनके वर्चस्व को खत्म कर सकती हैं। ऐसा होने से सरकार के खाते में पैसा भी आएगा और आम जनता को भी परेशानी से राहत मिलेगी।