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विकास इंजनों को प्राथमिकता देने वाला समावेशी बजट

एक ओर एमएसएमई कुशल कार्यबल का लाभ उठा सकेंगे तो दूसरी ओर कौशल से परिपूर्ण युवा इन गतिशील उद्यमों में करियर बना पाएंगे या तरक्की के अवसर हासिल कर सकेंगे।

जयपुरJul 25, 2024 / 11:04 pm

Nitin Kumar

लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन

संस्थापक व प्रबंध ट्रस्टी, भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट

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वित्तमंत्री ने 2024-25 के बजट में युवाओं और महिलाओं समेत प्रमुख हितधारकों के प्रति हर संभव उदार दृष्टिकोण अपनाकर अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट तरीके से पेश की हैं। कौशल और रोजगार की अनेक प्रोत्साहन योजनाएं इस बजट के प्रमुख नवाचार हैं। आम बजट में युवाओं के कौशल और रोजगार सृजन के लिए सार्थक और महत्त्वपूर्ण आवंटन किया गया है। लक्ष्य यह है कि भविष्य के लिए कार्यबल अपनी पूर्ण क्षमता से युक्त हों।
रोजगार का सृजन करना एक प्रमुख चुनौती है। वित्तमंत्री ने अगले पांच वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशलयुक्त बनाने के लिए एक नई केंद्र प्रायोजित योजना की घोषणा की, जो राज्यों और उद्योग के सहयोग से एक सकारात्मक चक्र को बढ़ावा देगी जहां कुशल कार्यबल एमएसएमई को उसकी प्रभावशीलता और कामकाज के प्रदर्शन का विस्तार करने के लिए सशक्त बनाएगा और एमएसएमई युवाओं के लिए करियर के अवसर प्रदान करने वाला होगा। इसमें युवाओं के सैकड़ों मील दूर किसी बड़े शहर में जाने की जरूरत भी नहीं है। कर्ज तक पहुंच को संबोधित करने के लिए, नई योजना के तहत विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए 100 करोड़ रुपए तक गारंटी कवर प्रदान करने का प्रस्ताव है ताकि वे मशीनरी और उपकरण आदि खरीद सकें। बिना किसी जमानत या तीसरे पक्ष की गारंटी की इस क्रेडिट गारंटी योजना से आधुनिकीकरण, विस्तार और बेहतर दक्षता के लिए एमएसएमई की बड़े ऋण तक पहुंच आसान हो जाएगी। बजट में एमएसएमई के लिए क्रेडिट मूल्यांकन में बदलाव का भी प्रस्ताव है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर व्यवसायों का आकलन करने के लिए आंतरिक क्षमताओं का विकास करेंगे, बजाय केवल पारंपरिक संपत्ति या टर्नओवर मानदंडों पर निर्भर रहने के। औपचारिक लेखांकन प्रणाली के बिना यह सही कदम है जो व्यवसायों के हित में है। हालांकि, माइक्रो-इंटरप्राइजेज, विशेषकर महिलाओं और एससी/एसटी उद्यमियों के बीच सीमित डिजिटल तत्परता (सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी द्वारा सक्षम डिजिटल वर्कफ्लो में संगठन के कार्यबल की तत्परता स्तर) को संबोधित करने की भी जरूरत है।
एक अन्य महत्वपूर्ण कदम-उद्यमों के लिए पूंजी उपलब्धता सुगम बनाने के लिए टीआरईडीएस प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य ऑनबोर्डिंग (तेजी से चालान भुगतान के लिए) के लिए टर्नओवर सीमा 500 करोड़ रुपए से घटाकर 250 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव है। इससे एमएसएमई रियायती दर पर इनवॉयस बेचकर तीव्रता से कार्यशील पूंजी हासिल कर सकेंगे। उनके लिए संचालन में पुनर्निवेश, आपूर्तिकर्ताओं को समय पर भुगतान और नए विकास के अवसरों का लाभ प्राप्त करना संभव होगा। इसके अतिरिक्त, एमएसएमई और कारीगरों के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निर्यात सेवाओं की सुविधा के लिए ई-कॉमर्स निर्यात केंद्रों की स्थापना भी स्वागतयोग्य है।

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