scriptआखिर कितने कारगर होंगे नए आपराधिक कानून | After all, how effective will the new criminal laws be? | Patrika News
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आखिर कितने कारगर होंगे नए आपराधिक कानून

नवीन आपराधिक संहिता जिसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं, 1 जुलाई से लागू हो गई है।

जयपुरJul 26, 2024 / 07:45 pm

Gyan Chand Patni

अनिल पालीवाल
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी
नवीन आपराधिक संहिता जिसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं, 1 जुलाई से लागू हो गई है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 में 358 धाराएं हैं। भारतीय दण्ड संहिता में वर्तमान परिदृश्य को ध्यान रख समुचित बदलाव किए गए हैं। इनमें कुछ नए अपराध परिभाषित किए गए हैं, साथ ही कुछ पुरानी धाराएं समाप्त की गई हंै। बालकों एवं महिलाओं के खिलाफ अपराधों सम्बन्धी धाराओं को एक अध्याय में शामिल किया गया है। भीड़ द्वारा हिंसा, ‘मॉब लिंचिंग’, उग्रवाद, दंगे रोकने के लिए भी नए प्रावधान इस कानून में शामिल किए गए हंै। हत्या व गम्भीर चोट के मामले में भी कुछ विशेष प्रावधाान- परिभाषाएं सम्मिलित की गई हैं। धारा 197 (1)(द) में ऐसी भ्रामक व झूठी सूचना बनाना या फैलाना जिससे भारत की सम्प्रभुता, एकता, सुरक्षा या अखण्डता खतरे में पड़ती हो, में तीन साल की सजा या जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
इसी प्रकार भारत से बाहर रहकर, कोई व्यक्ति भारत में अपराध को बढ़ावा दे रहा है तो वह धारा 48 मेें दण्डनीय अपराध है। चैन, मोबाइल या बैग छीनने जैसे अपराधों को गंभीर अपराध परिभाषित कर दंडनीय बनाया गया है। इसी प्रकार ‘एसिड अटैक’ एक घिनौना अपराध है, इसे परिभाषित कर ऐसा प्रयास करना और अटैक दोनों को दण्डनीय किया गया है। ‘आंतकी कृत्य’ भी नए कानून में परिभाषित किया गया है। धारा 113 में ‘आंतकी कृत्य’ वह कृत्य है जब कोई व्यक्ति आशयपूर्वक ऐसा कृत्य करता है जिससे भारत की एकता, अखंडता व सुरक्षा प्रभावित हो। सार्वजनिक या निजी संपत्ति को विस्फोटक पदार्थ से नष्टकरना आंतकी गतिविधि माना जाएगा। इसी प्रकार संगठित अपराध के लिए धारा जोड़ी गई है। इसमें सहयोग करने वालों के लिए दंड, संपत्ति की जब्ती, गैर मौजूदगी में ट्रायल जैसे प्रावधान जोड़े गए हैं। आत्महत्या के लिए उकसाने को विशेष रूप से परिभाषित कर दंड का प्रावधान किया गया है।
इसी प्रकार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 ने पुरानी दण्ड प्रक्रिया संहिता की जगह ले ली है। इसमें 531 धाराएं हैं। जोड़े गए नए प्रावधान अनुसंधान, जांच व आगे की कानूनी प्रक्रियाओं को त्वरित करने की दिशा में मददगार हैं। धारा 63 व 64 में इलेक्ट्रॉनिक संचार से न्यायालय द्वारा समन का प्रावधान किया गया है। धारा 70 में समन की तामील के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का प्रावधान किया गया है। अनुसंधान की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए, 7 साल या इससे ज्यादा सजा वाले अपराधों में विधि विज्ञान विशेषज्ञ को विधि विज्ञान साक्ष्य के लिए आवश्यक तौर पर अपराध स्थल का मुआयना करना होगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 के तहत ई-प्रथम सूचना रिपोर्ट संचार साधन जैसे ई-मेल, वाट्सअप या टेलीग्राम ऐप से दर्ज कराई जा सकेगी, इनमें तीन दिन के भीतर संबंधित थाने में जाकर परिवादी को हस्ताक्षर करने होंगे। शून्य प्रथम सूचना रिपोर्ट किसी भी थाने में दर्ज हो सकेगी।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 ने पूर्ववर्ती भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया है। अनुसंधान व विचारण में साक्ष्य का बहुत महत्त्व है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम में इंटरनेट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया, डार्क वेब आदि पर उपलब्ध साक्ष्य को भी विभिन्न धाराओं और प्रावधानों के माध्यम से शामिल किया है। धारा 2(1)(ई) में साक्ष्य की परिभाषा को विस्तृत कर इलेक्ट्रॉनिक रूप में दी गई किसी भी सूचना को साक्ष्य में शामिल किया गया है। इस कारण गवाह, आरोपी, विशेषज्ञ, पीडि़त अपनी गवाही इलेक्ट्रॉनिक साधन से भी दे सेकेगें। इसी प्रकार 2(1)(द) में दस्तावेज की परिभाषा भी विस्तृत की गई है। नए कानून में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, सर्वर लॉग, कम्प्यूटर, लेपटॉप, डिजिटल डिवाइस में उपलब्ध जानकारी, बेबसाइट, क्लाउड, मैसेज, ई-मेल आदि में उपलब्ध तथ्यों जानकारी को भी दस्तावेज साक्ष्य में शामिल किया गया है। धारा 61 के तहत ऐसे साक्ष्यों को कानूनी रूप से स्वीकार्य किया गया है। धारा 62, 63 भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में दर्ज और स्पष्ट किया गया है। यहां एक प्रमाण पत्र की व्यवस्था की गई है, जो की इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की प्रामाणिकता सुनिश्चित करती है। कम्प्यूटर या डिजिटल स्रोत में उपलब्ध साक्ष्य को प्राथमिक साक्ष्य माना गया है। यह अधिकृत रूप में संग्रहित होना जरूरी है। भारतीय साक्ष्य अधिनियमए 2023 में गवाहों की सुरक्षा व संरक्षण के प्रावधान भी जोड़े गए हैं। इस प्रकार भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनियम को समय की आवश्यकता के मध्यनजर व्यापक तौर पर परिवर्तित किया गया है।

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