प्रवीण सावरकरभोपाल। अयोध्या में रामलला की भव्य मूर्ति की चहुंओर चर्चा है। राजधानी भोपाल के बिड़ला संग्रहालय में भी प्रभु श्रीराम की प्राचीन प्रतिमाओं का अनूठा संग्रह है। बलुआ पत्थर से बनी इन प्रतिमाओं में कुछ १०वीं शतादी की तो कुछ १२वीं सदी की हैं। श्रीराम के अलावा यहां भगवान विष्णु के दस अवतारों की प्रतिमाओं का भी संग्रह है, जो एक हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है। ये प्राचीन प्रतिमाएं सदियों के इतिहास को संजोए हुए हैं।
चतुर्भुज विष्णु के रूप में श्री राम
12वीं सदी की यह प्रतिमा देवास में मिली थी। संग्रहालय के बीके लोखंडे ने बताया कि यह प्रतिमा द्विभंग मुद्रा में है, जिसमें भगवान राम एक हाथ में धनुष और एक हाथ में बाण लिए हुए है। इसके साथ ही करधनी, बाजूबंद आदि भी है।
विष्णु के दशावतार, बिना मुकुट मूर्ति
आशापुरी रायसेन से मिली यह प्रतिमा 10वीं सदी की है। लाल बलुआ पत्थर से बनी प्रतिमा की ऊंचाई 115 सेमी है, इसमें राम की प्रतिमा 25 सेमी है। विष्णु को चतुर्भुज तो श्रीराम को द्विभुजी स्वरूप में मानव रूप में दर्शाया गया है।
मत्स्य से कल्कि अवतार तक का वर्णन
भोपाल के नेवरी क्षेत्र से मिली 11वीं सदी की प्रतिमा में भी भगवान राम के दर्शन होते हैं। इस प्रतिमा की ऊंचाई 135 फीट है, जिसमें राम की प्रतिमा 15 सेमी की है। मत्स्य से लेकर कल्कि तक के सभी अवतारों की प्रतिमा का उल्लेख मिलता है।
कोंडापल्ली आर्ट की प्रतिमाएं
संग्रहालय में दक्षिण भारत के कोंडापल्ली आर्ट की प्रतिमाएं भी हैं। इसमें भगवान राम की प्रतिमा के साथसाथ राम दरबार की प्रतिमा भी है। यह प्रतिमा 17 वीं शताब्दी की है। यह प्रतिमा काष्ठ से बनी हुई है।
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