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बता दें कि नोएडा का यह पहला ऐसा बायोगैस प्लांट है, जिसमें सेक्टर में ही कूड़े का निस्तारण कर बायोगैस बनाई जाएगी। इससे कूड़े को सेक्टर से बाहर नहीं ले जाना पड़ेगा। सीईओ रितु माहेश्वरी का कहना है कि इस प्लांट के लगने का फायदा यह है कि सेक्टर से निकलने वाले कूड़ा का निस्तारण अब यही हो पाएगा। सेक्टर से निकलने वाले 500 घरों के कूड़े का निस्तारण कर बायोगैस बनाई जाएगी। यहां बनने वाली बायोगैस को अस्पतालों में 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाएगा और इससे निकलने वाली खाद को भी सेक्टर की ही ग्रीन बेल्ट में इस्तेमाल किया जाएगा। ये दूसरा बायोगैस प्लांट है। इससे पहले नोएडा के सेक्टर-30 की ग्रीन बेल्ट में प्लांट लगाया जा चुका है।
सीईओ ने बताया कि इस बायोगैस प्लांट के मेंटेनेंस का काम नोएडा प्राधिकरण करेगा और इस प्लांट में खर्च होने वाली बिजली का आधा खर्च नोएडा प्राधिकरण वहन करेगा। अगले वर्ष बिजली का 25 परसेंट खर्च नोएडा प्राधिकरण वहन करेगा। सीईओ का कहना है कि हमारा प्रयास रहेगा कि यह प्रोजेक्ट सेल्फ सस्टेनिबल मॉडल बने।
उन्होंने बताया कि बायोगैस प्लांट बनाने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने छह कंपनियों को अपने चैनल में रखा है। 20 से 25 सेक्टरों के आरडबल्यूए ने बायोगैस प्लांट लगाने में दिलचस्पी दिखाई है। इसके अलावा कई हाईराइज सोसायटी हैं, जिसमे इस तरह के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। हमारा प्रयास है कि जो डंपिंग साइट तक वेस्ट पहुंचे वह कम से कम हो।