मंहगी दवाइयां और महंगे इम्पलांट की आपूर्ति चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (आरएमएससी) से ही किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। अभी कॉरपोरेशन के जरिये नि:शुल्क दवा और जांच में आवश्यक दवाइयों व जांचों के लिए आवश्यक सामग्रियों की खरीद की जाती है।
राहत : एक दिन में अधिक परामर्श ले सकेंगे अब आरजीएचएस के अंतर्गत मरीजों की सुविधा बढ़ाते हुए एक दिन में एक से अधिक बार ओपीडी में दिखाने की सुविधा भी दे दी गई है। लेकिन यहां पहले वाली शर्त को बरकरार रखते हुए एक महीने में छह से अधिक ओपीडी परामर्श नहीं लेने की बाध्यता रखी गई है। पूर्ववर्ती सरकार के समय एक दिन में एक ही परामर्श की अनुमति थी।
परेशानी : दुबारा जांच लिखी तो दो पैसे निजी अस्पताल उन मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा, जिन्हें किसी बीमारी के कारण 15 दिन से पहले दुबारा डॉक्टर के पास जाना होगा या जांचें करवानी होगी। कई बार डॉक्टर सात दिन की दवा लिखकर वापस रीपिट जांच लिखते हैं। इस निर्णय से ऐसे मरीजों को भी जांच के पैसे देने होंगे या सरकारी अस्पताल जाना होगा।
समय पर क्लेम नहीं तो कटेगा भुगतान निजी अस्पताल अपना क्लेम निर्धारित अवधि के बाद प्रस्तुत करता है तो निर्धारित अवधि के बाद 15 दिन तक देरी से प्रस्तुत किए जाने पर केवल 50 प्रतिशत राशि ही उस निजी अस्पताल को भुगतान की जाएगी। पंद्रह दिन से अधिक देरी से प्रस्तुत किए गए दावे पर कोई भी राशि उस निजी अस्पताल को भुगतान नहीं की जाएगी।
इनडोर मरीजों के लिए ये नियम – पैकेज दरों के तहत इनडोर उपचार की अधिकतम अवधि विशेष उपचार के लिए एक दिन, 3 दिन, 7 दिन और 12 दिन होगी – मेडिकल मैनेजमेंट पैकेज के लिए अस्पताल में भर्ती की अवधि 5 दिनों तक सीमित होगी
– मरीज के वेंटिलेटर पर या आईसीयू में होने पर अधिकतम 3 दिन की सीमा के साथ एक लाख रुपए तक का इलाज किया जा सकेगा, इसके बाद उसे सक्षम स्तर की अनुमति के साथ 12 दिन तक बढ़वाया जा सकेगा
गाइडलाइन सिर्फ निजी के लिए गाइडलाइन में कुछ संशोधन किए गए हैं। जो निजी अस्पतालों में इलाज के लिए है। तय अवधि के बाद कभी दुबारा जरूरत पड़ती है तो सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क जांच और परामर्श लिया जा सकता है।
शिप्रा विक्रम, परियोजना अधिकारी, आरजीएचएस