scriptइस जिले में वर्षों से हाथियों का उत्पात झेल रहे ग्रामीण, अब तक 11 को मौत के घाट उतार चुके हैं जंगली हाथी | ग्रामीणों की समस्या को प्रशासन सहित जनप्रतिनिधि नहीं ले रहे गंभीरता से | Patrika News
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इस जिले में वर्षों से हाथियों का उत्पात झेल रहे ग्रामीण, अब तक 11 को मौत के घाट उतार चुके हैं जंगली हाथी

पिछले दिनों जिले से रेस्क्यू किया गया हाथी। -फाइल फोटो

अनूपपुरJun 08, 2024 / 12:25 pm

Sandeep Tiwari

अनूपपुर. प्रत्येक वर्ष छत्तीसगढ़ के जंगलों से भटक कर हाथियों का समूह जिले में पहुंच रहा है। जिले में रहकर ग्रामीणों की फसल तथा घरों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही अब तक कई ग्रामीणों की जान भी हाथी ले चुके हैं। इसके बावजूद जिले में हाथियों से बचाव के लिए वन विभाग के पास कोई योजना नहीं है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए भी यह कोई मुद्दा नहीं है। हाथी लोगों के लिए मुसीबत का कारण बनते जा रहे हैं। बीते 3 वर्षों में हाथियों का समूह 10 ग्रामीणों को मौत के घाट उतार चुका है। जैतहरी विकासखंड में तीन, कोतमा विकासखंड के बिजुरी वन परिक्षेत्र अंतर्गत बेलगांव में चार एवं राजेंद्र ग्राम वन परिक्षेत्र अंतर्गत 3 ग्रामीणों को हाथियों का समूह मौत के घाट उतार चुका है। इसके साथ ही वर्ष 2011 में चचाई में हाथियों के समूह में ग्रामीण को कुचल दिया था। तीन से लेकर 5 की संख्या में हाथी यहां पहुंचते हैं। बताया गया कि 11 लोगों को मौत के घाट उतारने के बावजूद जिले में हाथियों से बचाव के लिए कोई भी उपाय नहीं है। अगर आज हाथी जिले में पहुंच जाएं तो पहले जैसे ही स्थिति हैै।
बीते वर्ष 60 घरों में की थी तोडफ़ोड़

बीते वर्ष हाथियों ने अनूपपुर तथा जैतहरी क्षेत्र के 60 घरों में तोडफ़ोड़ करते हुए घरों के साथ ही फसलों को नुकसान पहुंचाया था। घरों में तोडफ़ोड़ के बाद कई परिवारों को शासकीय भवनों में कई महीनों तक घर की मरम्मत न होने की वजह से वक्त बिताना पड़ा। वहीं कच्चे मकानों को हाथियों ने पूरी तरह से तहस नहस कर दिया था। घर रहने लायक नहीं बचे थे। घर के आसपास खेत में लगी फसलों को आहार बनाते हुए घर के भीतर रखे खाद्यान्न भी हाथी चट कर गए थे।
छग से भटक पहुंचते हैं अनूपपुर

वन्य प्राणी संरक्षक शशिधर अग्रवाल ने बताया कि हाथियों का समूह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में छत्तीसगढ़ की ओर से आते जाते हैं। बीते 4 वर्षों में हसदेव क्षेत्र में कॉलरी खदान प्रारंभ होने के कारण हाथी भटकते हुए अनूपपुर की ओर पहुंच जाते हैं। बताया गया कि हसदेव के जंगलों की कटाई कोयला खदान प्रारंभ किए जाने के कारण हाथियों का समूह भटक कर अनूपपुर जिले में प्रवेश कर जाता है और यहां नुकसान पहुंचाते हैं। अभी तक रामा हाथी और त्रिदेव हाथी का रेस्क्यू करते हुए राष्ट्रीय उद्यान में भेजा गया।
ग्रामीणों को दिया गया प्रशिक्षण

डीएफओ अनूपपुर श्रद्धा पंद्रे का कहना है कि कर्नाटक से हाथी विशेषज्ञ डॉ. आदित्य आए हुए थे जिनके द्वारा जिले के हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है कि हाथियों के आने पर क्या उपाय किए जाएं। उन्हीं के बताए अनुसार चिली फेंसिंग की जा रही है। यह हाथियों को रोकने में कारगर होता है। जिस स्थान पर यह लगाया जाता है वहां से 19 किलोमीटर दूर हाथियों को खतरे का एहसास होता है जिसके कारण उसे क्षेत्र में वह नहीं जाते हैं। इसके साथ ही नियमित रूप से वन विभाग की टीम को भी इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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