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आदिवासियों ने की स्थानांतरण अधिसूचना वापस लेने की मांग

आदिवासियों का आरोप है कि स्थानांतरण का गुप्त उद्देश्य पर्यटन और वन भूमि अतिक्रमण को बढ़ावा देना है।नागरहोले आदिवासी जम्मापाले अधिकार स्थापना समिति के अनुसार आदिवासी संस्कृति जंगलों, जानवरों और पर्यावरण संरक्षण के इर्द-गिर्द घूमती है और यह मूल्य प्रणाली उनके पूर्वजों से विरासत में मिली है और भावी पीढ़ी को भी दी गई है।

बैंगलोरSep 17, 2024 / 06:05 pm

Nikhil Kumar

-औचित्य पर सवाल
बेंगलूरु.

नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान Nagarhole National Park के आदिवासियों ने सरकार से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्र में रहने वाले लोगों को स्थानांतरित करने के लिए हाल ही में जारी अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है।दरअसल, एनटीसीए ने 18 राज्यों के मुख्य वन्यजीव वार्डनों को लिखा था कि मुख्य क्षेत्रों में 64,801 लोग रह रहे हैं और उनके स्थानांतरण की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
एनटीसीए की अधिसूचना के औचित्य पर सवाल उठाते हुए आदिवासियों ने प्रदर्शन भी किया। स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में न केवल पुनर्वास पर एनटीसीए परिपत्र को रद्द करने की मांग की गई, बल्कि यह भी कहा गया कि नागरहोले को बाघ अभयारण्य घोषित करना अवैध है और इसलिए अधिसूचना को वापस लेने की मांग की गई। आदिवासियों का आरोप है कि स्थानांतरण का गुप्त उद्देश्य पर्यटन और वन भूमि अतिक्रमण को बढ़ावा देना है।नागरहोले आदिवासी जम्मापाले अधिकार स्थापना समिति के अनुसार आदिवासी संस्कृति जंगलों, जानवरों और पर्यावरण संरक्षण के इर्द-गिर्द घूमती है और यह मूल्य प्रणाली उनके पूर्वजों से विरासत में मिली है और भावी पीढ़ी को भी दी गई है।
आदिवासियों ने स्थानीय ग्राम सभाओं की सहमति के बिना नागरहोल को बाघ अभयारण्य घोषित करने की वैधता पर भी सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार यह पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 सहित विभिन्न कानूनों का उल्लंघन है।

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