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तीन दिग्गज नेता नहीं दिलवा पाए अपने क्षेत्र में बढ़त, यहां सबसे ज्यादा पिछड़ी भाजपा

लोकसभा चुनाव में सीकर संसदीय क्षेत्र के आठ में से तीन विधायकों का प्रदर्शन कमजोर रहा। ये विधायक अपने ही क्षेत्र में अपने दल को बढ़त नहीं दिलवा पाए। धोद, खंडेला व चौमूं विधायक इस सूची में शामिल हैं। धोद विधायक गोरधन वर्मा व खंडेला विधायक सुभाष मील अपनी विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी सुमेधानंद सरस्वती […]

सीकरJun 07, 2024 / 11:10 am

Sachin

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लोकसभा चुनाव में सीकर संसदीय क्षेत्र के आठ में से तीन विधायकों का प्रदर्शन कमजोर रहा। ये विधायक अपने ही क्षेत्र में अपने दल को बढ़त नहीं दिलवा पाए। धोद, खंडेला व चौमूं विधायक इस सूची में शामिल हैं। धोद विधायक गोरधन वर्मा व खंडेला विधायक सुभाष मील अपनी विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी सुमेधानंद सरस्वती तो चौमूं में कांग्रेस विधायक शिखा बराल इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अमराराम को लीड नहीं दिलवा पाई। हालांकि इसकी वजह विधानसभावार अलग-अलग रही। पेश है विधानसभावार विश्लेषण पर एक रिपोर्ट..

धोद में सबसे बड़ी बढ़त

विधानसभा चुनाव में धोद में भाजपा से मात खाने वाली माकपा ने लोकसभा चुनाव में अपना बदला ले लिया। यहां भाजपा विधायक की नाक के नीचे से माकपा जिले की सबसे बड़ी लीड ले गई। भाजपा के 69 हजार 104 मतों के मुकाबले माकपा को यहां 99 हजार 502 मत मिले। इस तरह 30 हजार 398 मतों की सबसे बड़ी लीड माकपा को यहीं मिली। विधानसभावार विश्लेषण….. सीकर: ग्रामीण क्षेत्र में जाट मतदाताओं को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राजेंद्र पारीक ने भाजपा प्रत्याशी जलधारी को 30038 मतों से हराया था। हार का बड़ा कारण भाजपा से बगावत कर ताराचंद धायल का निर्दलीय चुनाव लड़कर 40 हजार 782 मत हासिल करना था। पर भाजपा में वापसी के बाद भी धायल के मत भाजपा को नहीं मिल पाए। एक समाज के मतदाताओं का माकपा की तरफ स्विंग होने से ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा को नुकसान हुआ। मुस्लिम व एससी वोट भी भाजपा अपने पक्ष में नहीं कर पाई।

लक्ष्मणगढ़: पीसीसी चीफ डोटासरा का कद व भाजपा की अंर्तकलह पड़ी भारी

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का विधानसभा क्षेत्र होने की वजह से शुरू से यहां इंडिया गठबंधन को बढ़त मानी जा रही थी। पांच महीने पहले ही डोटासरा ने यहां 18 हजार 970 मतों से जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में माकपा प्रत्याशी के समर्थन में भी उन्होंने खूब जनसंपर्क व सभाएं भी की। वहीं, अंर्तकलह की वजह से भाजपा नेताओं की सक्रियता यहां कम रही। इस वजह से यहां भी पार्टी को भाजपा को नुकसान हुआ।

धोद: शुरू से रहा माकपा का गढ़, कांग्रेस से बढ़ी ताकत

धोद विधानसभा माकपा का गढ़ रही है। हाल में विधानसभा चुनाव में माकपा यहां भाजपा से 13 हजार 378 मत ही पीछे रही थी। जिसे इस बार विधानसभा चुनाव में 34 हजार 487 मत पाने वाली कांग्रेस का भी साथ मिल गया। ऐसे में आंकड़ों व जमीनी आधार पर पहले से धोद में इंडिया गठबंधन की लीड तय मानी जा रही थी। चुनाव के नतीजे भी उसी अनुरूप रहे।

श्रीमाधोपुर: खर्रा की वजह से भाजपा को मिले जाट वोट

14 हजार 459 मतों से विधानसभा चुनाव जीतकर यूडीएच मंत्री बने झाबर सिंह के जनसंपर्क का यहां भाजपा को फायदा मिला। वहीं, स्वास्थ्य कारणों से पूर्व विधायक दीपेंद्र सिंह के कम सक्रिय रहने व कम मतदान होने का नुकसान इंडिया गठबंधन को हुआ। खर्रा की वजह अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तुलना में भाजपा को यहां जाट वोट भी ज्यादा मिले।

खंडेला: मील को मिले वोट भाजपा से छिटके

विधानसभा चुनाव में 42 हजार 629 मतों की सबसे बड़ी जीत हासिल करने के बावजूद सुभाष मील भाजपा को लीड नहीं दिला पाए। इसकी वजह विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद भी उन्हें कांग्रेस मतदाताओं का साथ मिलना था। लेकिन, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मत माकपा को मिलने, महादेव सिंह खंडेला के प्रभाव व जातिगत समीकरण से माकपा बाजी मार गई।

दांतारामगढ़: भविष्य के आधार पर कांग्रेस का भरपूर साथ

धोद के बाद दांतारामगढ़ में ही माकपा मजबूत स्थिति में है। अमराराम यहां से विधायक भी रह चुके हैं। पिछले साल विधानसभा चुनाव में भी 20891 मतों के साथ वे तीसरे नम्बर पर थे। 99413 मतों के साथ विजेता रही कांग्रेस का समर्थन मिलने से माकपा यहां भी अजय सी हो गई थी। लोकसभा चुनाव जितवाकर भविष्य के विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने यहां माकपा का भरपूर साथ दिया।

नीमकाथाना: सुरेश मोदी व पायलट का चला मैजिक

विधानसभा चुनाव में 31 हजार 587 मतों से भाजपा को पटखनी देने वाले सुरेश मोदी का जादू लोकसभा में भी काम आया। गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में सचिन पायलट की सभा व भाजपा नेताओं की कम सक्रियता ने यहां भी भाजपा को इंडिया गठबंधन से पीछे धकेल दिया।

चौमूं: गढ़ का मिला फायदा

चौमूं भाजपा का गढ़ रहा है। पूर्व विधायक रामलाल शर्मा की क्षेत्र पर मजबूत पकड़ के सामने विधायक शिखा मील की मेहनत फीकी रही। जातिगत समीकरण भी यहां भाजपा के पक्ष में रहा।
विधानसभावार ये रहा अंतर

विधानसभा- कुल वोट–भाजपा— माकपा— अंतर

लक्ष्मणगढ-165960——72607——85772———-13165

धोद- 176906————69104——–99502————-30398

सीकर- 189911————83123——97695————–14572

दांतारामगढ़- 179009—–76567———–92061———-15494

खंडेला- 151089———–65925————76261————–10336

नीमकाथाना- 139354—–58672————-70558————11886

श्रीमाधोपुर- 137732——– 71007———–56731————–14276
चौमूं- 155163—————77735—————-66979—————10756

पोस्टल वोट- 30026———11664—————13741—————2077

कुल वोट- 1325150——– 586404—————659300————72896

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