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निजी लोगों की खातिर सरिस्का के बाघों का रोक दिया रास्ता

सरिस्का बाघ परियोजना भले ही बाघों के संरक्षण के लिए बनाई गई हो, लेकिन यहां सड़क, दीवारें बनाकर बाघों का रास्ता ही रोका जा रहा है। निजी लोगों को लाभ देने के लिए अफसरों ने यह खेल किया।

अलवरJul 03, 2024 / 11:53 am

susheel kumar

alwar ke sariska century ka board

– वन विभाग की जमीन पर किया गया अतिक्रमण, प्रधान मुख्य वन संरक्षक की ओर से कराई गई जांच में खुलासा

– नडौली, टहला वन क्षेत्र में किया गया यह खेल, दो अलग-अलग जांचों में पूरा खेल पकड़ा गया
– जांच अधिकारियों ने कहा, अफसरों की मिलीभगत से हुआ है यह काम, ऐसे अफसरों पर की जाए कार्रवाई

सरिस्का बाघ परियोजना भले ही बाघों के संरक्षण के लिए बनाई गई हो, लेकिन यहां सड़क, दीवारें बनाकर बाघों का रास्ता ही रोका जा रहा है। निजी लोगों को लाभ देने के लिए अफसरों ने यह खेल किया। इसका खुलासा प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय जयपुर की ओर से कराई गई जांच रिपोर्ट में हुआ है। जांच टीम ने बाघों के मार्ग में आ रहे इस अतिक्रमण को हटाने की सिफारिश की है। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की है।
इनको दी गई जांच

पीसीसीएफ कार्यालय को शिकायत मिली थी कि रिछुण्डा में बुढ़ाधौक के सामने वन भूमि से होकर 36 बीघा में रोड बनाई गई है। इसकी जांच सीसीएफ जयपुर राजीव चतुर्वेदी व सीसीएफ भरतपुर पी. कथिरवेल को सौंपी गई। उन्होंने जांच में कई खुलासे किए। सरिस्का प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया। जांच रिपोर्ट पीसीसीएफ कार्यालय के पास है। अब आगे की कार्रवाई उन्हीं के स्तर से होगी।
सरिस्का के कोर एरिया का दीवार बनाकर कर दिया विघटन

जांच में कहा है कि सरिस्का की ओर से उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के अनुसार बूढ़ा धौक के सामने नडौली की खातेदारी भूमियों को वन भूमि से होकर रास्ता दिया गया है। इस रास्ते के लिए नडौली गांव के खातेदारों को कोई अधिकार प्राप्त न होने के बावजूद यह रास्ता खातेदारों को गैर वैधानिक तरीके से दिया गया है। वन्यजीव क्षेत्र में अवैध रास्ता बनाने से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास, सुरक्षा एवं स्वच्छंद विचरण में बाधा उत्पन्न होती है। साथ ही यह क्षेत्र क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) यानी कोर एरिया में आने के कारण रास्ता बनाने से सीटीएच क्षेत्र का विघटन भी हो रहा है, जो बाघ संरक्षण योजना के विरुद्ध है। यह कार्रवाई वन्यजीव प्रबंधन में एक गंभीर लापरवाही है, जिससे निजी व्यक्तियों की ओर से अभयारण्य क्षेत्र में अतिक्रमण, गैर वानिकी कार्यों, वन्यजीवों के विरुद्ध आपराधिक गतिविधियाें यानी अवैध शिकार आदि को बढ़ावा मिलता है। यहां भविष्य में और भी अतिक्रमण होने की संभावनाएं हैं। इस तरह खातेदार भू स्वामियों को वन भूमि से होकर रास्ता देना वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की धारा 27, 28, 29 व 33 का उल्लंघन है। ऐसे में रास्ता तत्काल बंद कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इस तरह बनाई गई दीवार

जांच टीम ने कहा है कि बागोरी माता के पास बनी दीवार के दोनों तरफ वन भूमि है। ऐसे में यह दीवार वन भूमि की सीमा पर नहीं बनाई गई बल्कि मध्य में है। यह अतिक्रमण को बढ़ावा देती है। साथ ही वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास, सुरक्षा, विचरण आदि में बाधा डालती है। यह क्षेत्र सीटीएच में होने के कारण नियम विरुद्ध निर्मित दीवार से सीटीएच क्षेत्र का विघटन भी हो रहा है। ऐसे में इस दीवार को हटाया जाए। दीवार के लिए किए गए व्यय का वहन संबंधित अफसरों से किया जाए।
छीला के पेड़ों से निकाला गया अवैध तरीके से गोंद

जांच टीम ने कहा है कि नांदू वन खंड में सुनियोजित तरीके से छीला के पेड़ों से गोंद निकालने का कार्य किया गया है। अभयारण्य क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों के आधार पर नॉन टिंबर फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स का संग्रहण वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 का उल्लंघन है। प्राप्त अभिलेखों के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी, जो नहीं की गई। गोंद निकालने से पेड़ खराब हुए हैं। उनके निशान भी पेड़ों पर हैं।

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