तिरुचि की विशेष टीम ने तंजावुर-तिरुचि राष्ट्रीय राजमार्ग पर पेरियार समत्वापुरम बस स्टॉप पर एक कार को रोककर चालक राजेश कण्णन (42) और अन्य यात्री लक्ष्मणन (64) से पूछताछ की। उनके साथ तिरुमुरुगन (39) भी था, जो लक्ष्मणन का दामाद है। विशेष दल ने कार की तलाशी के दौरान कार में रखे बोरों को खोला तो उसमें हिंदू देवताओं की छह धातु की मूर्तियां मिली। इनमें त्रिपुरांतकर, वीणाथारा दक्षिणामूर्ति, ऋषभदेवर और अम्मन की देवी की तीन मूर्तियां थी।
लक्ष्मणन ने तस्करी करना कबूल किया आगे की पूछताछ में लक्ष्मणन ने स्वीकार किया कि पांच साल पहले मईलाडुतुरै के कोरुक्करै गांव में एक घर के निर्माण के लिए खुदाई करते समय उसे ये छह मूर्तियां मिलीं। उसने जानबूझकर सरकारी अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी और उनको अपने घर में छिपा दिया। राजेश ने इन प्राचीन मूर्तियों को स्थानीय व्यवस्थाओं के माध्यम से विदेश में किसी भी खरीदार को सही समय पर बेचने की योजना बनाई ताकि मूर्तियों का अधिकतम मूल्य प्राप्त किया जा सके।
राजेश कण्णन का मूर्तियों को बेचने और विदेश में तस्करी करने के लिए कुछ लोगों से संपर्क हुआ। उसने छह मूर्तियों को कार में डाला और उनको बेचने के लिए तिरुचि के रास्ते चेन्नई के लिए रवाना हो गया। इसी दौरान मूर्ति विंग सीआइडी, तिरुचि की विशेष टीम ने कार को रोक लिया। मूर्ति विंग सीआईडी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया और तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।