राज्य सरकार ने वर्ष-2012 में जिंदल को डेडवास और लापिया में 1,989 हैक्टेयर के दो खनन पट्टे दिए। शर्तों के अनुसार कंपनी को दो साल में स्टील प्लांट लगाना था। शर्त पूरी नहीं करने पर खान विभाग ने 12 दिसंबर 2015 को जिंदल को नोटिस जारी किया। समयावधि को गुजरे आठ साल से अधिक हो गए, लेकिन न स्टील प्लांट लगा और न ही नोटिस पर कार्रवाई हुई।
यह था नियम आवंटन की शर्तों के अनुसार 8 दिसम्बर 2012 तक पैलेटाइजेशन और 8 दिसम्बर 2014 तक स्टील प्लांट लगाना था। पैलेटाइजेशन प्लांट कंपनी लगा चुकी, लेकिन स्टील प्लांट नहीं लगाया। स्टील प्लांट नहीं लगाने पर खान विभाग ने कंपनी को 10 दिसंबर, 2014 को पहला नोटिस भेजा। इसके बाद 16 दिसंबर को एक साल यानि सात दिसंबर, 2015 तक के लिए स्टील प्लांट लगाने की समयावधि बढ़ा दी थी। फिर भी प्लांट नहीं लगाने पर पांच दिसंबर, 2015 को दूसरा नोटिस जारी किया। शर्तों के अनुसार प्लांट नहीं लगाने पर दोनों खनन पट्टे निरस्त कर 10 करोड़ रुपए की कीननेस मनी जब्त करने का प्रावधान है।
स्टील प्लांट के नाम पर दो बार करार स्टील प्लांट के लिए कम्पनी ने 16 अक्टूबर 2015 को 2500 करोड़ का एमओयू किया। इसकी अवधि अक्टूबर-2016 को समाप्त होने पर सशर्त दो साल बढ़ाया। इसके बाद कांग्रेस सरकार में फिर से 2500 हजार करोड़ का एमओयू किया। यह समय भी निकल गया। खनिज अभियन्ता चंदन कुमार का कहना है कि खान निरस्त का मामला सरकार के पास लम्बित है।
143 बीघा व्यवसायिक उपयोग के लिए दी सरकार ने जिंदल को 744.13 बीघा भूमि खनन और 143 बीघा व्यवसायिक उपयोग के लिए दी। व्यवसायिक भूमि पर प्लांट लगना था। अभी यहां क्रेसर, बेनिफियेशन प्लेट प्लांट लगा रखा है।
सरकार से नहीं मिला जवाब नगर विकास न्यास के अधिकारियों का कहना है कि न्यास के ट्रस्ट में जिंदल को स्टील प्लांट के लिए जमीन आवंटन का प्रस्ताव यूडीएच विभाग को भेज रखा है। वहां से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला।उधर, इस मामले में जिंदल कम्पनी के हैड डॉ. एसबी सिन्हा से सम्पर्क करने का प्रयास किया, लेकिन नहीं हो सका।