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सुरक्षा मामले में प्रभावी मोदी सरकार, कश्मीर में ऐसे लौटी अमन-चैन की बहार

J&K: नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू -कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त कर राज्य को को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।

जम्मूMay 04, 2024 / 08:48 pm

Prashant Tiwari

नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू -कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त कर राज्य को को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिलने वाला विशेष राज्य का दर्जा भी समाप्त हो गया। जम्मू-कश्मीर में दो अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए लद्दाख और जम्मू-कश्मीर। इसके साथ ही यहां केंद्र सरकार के सारे कानून लागू हो गए। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हो या उसके मददगार, इसके साथ ही अन्य अपराधियों पर भी नकेल कसने और उनकी पहचान पुख्ता करने के लिए अब वहां की पुलिस पूरी तरह से मुस्तैदी बढ़ाने के साथ इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल करने लगी है। इस वजह से अब किसी अपराधी या आतंकी का घाटी की पुलिस की नजरों से बचना मुश्किल होगा।
आज घाटी में हालात सामान्य

पुलिस ने यहां एक नई पहल लॉन्च की है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए सुरक्षा तकनीक को जोड़ने का काम किया है। इसके तहत यहां नवयुगा टनल पर बने चेकिंग प्लाजा में एआई-आधारित फेशियल रिकग्निशन सिस्टम लगाया गया है। यह यहां के स्मार्ट पुलिसिंग पहल की एक बड़ी उपलब्धि है।
इस सिस्टम के जरिए पुलिस सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने का भी काम करेगी। इस सिस्टम की मदद से अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलेगी। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने के फैसले के बाद कश्मीर लंबे समय तक बंद रहा था, वहीं यहां इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं भी बाधित रही थी। फिर धीरे-धीरे इसको केंद्र सरकार की पहल पर शुरू किया गया और आज घाटी में हालात सामान्य हैं।
धारा 370 हटाने के बाद चरमपंथी हमलों में कमी

आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद से ही कश्मीर में चरमपंथी हमलों में कमी आई और साथ ही आतंकियों के आंकड़े भी कम हुए हैं। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर कई बदलावों का गवाह बना है। वहां की स्थिति में तेजी से परिवर्तन हुआ है। वहां धीरे-धीरे सुरक्षाकर्मियों की संख्या घटाने पर विचार किया जा रहा है और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां सुरक्षा के हालातों में काफी तेजी से बदलाव आया है।
Modi government effective in security matters, this is how peace returned to the valley
घाटी में पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग शून्य

जम्मू-कश्मीर के बदले हालात का गवाह यह है कि कभी अलगाववाद का समर्थक होने का दावा करने वाले लोग अब अलगाववादी विचारधारा से अपने को अलग करने का फैसला कर चुके हैं और देश की संप्रभुता के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा कर रहे हैं। यहां प्रदेश के हालात पूर्व के मुकाबले बहुत बेहतर नजर आ रहे हैं। घाटी में पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग शून्य हो गई हैं। इसके साथ ही यहां सुरक्षा बलों के सक्रिय ऑपरेशन ने आतंकवाद की कमर तोड़ दी है। वहीं सुरक्षा बलों के घायल होने और शहीद होने की संख्या में भी तेजी से कमी दर्ज की गई है। घाटी में कानून-व्यवस्था अपने सबसे बेहतरीन दौर में है। आतंकवादियों के ओवर-ग्राउंड वर्करों की गिरफ्तारियों ने उन्हें इतना भयाक्रांत कर दिया है कि यहां से आतंकवादियों की भर्तियों में भी अब कोई शामिल नहीं होना चाहता है।
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लाल चौक से लेकर हर तरफ तिरंगा ही तिरंगा

घाटी में लाल चौक से लेकर हर तरफ तिरंगा फहराते आप देख सकते हैं। भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारों से गूंजता घाटी का हर कोना नजर आने लगा है। हालांकि आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद थोड़े समय के लिए घाटी में कश्मीरी हिंदुओं और गैर-कश्मीरियों की हत्याओं की सिलसिलेवार घटनाएं बढ़ गई थी। जिस पर अब पूरी तरह से काबू पा लिया गया है। आतंकियों के मंसूबों को सुरक्षा बल पूरी तरह से नाकाम कर रहे हैं। हिंदू बहुल इलाकों को टारगेट करने के लिए आतंकी आईईडी का इस्तेमाल करने की योजना बनाते रहे और उनके इरादों को पहले ही सुरक्षा बल नाकाम करते रहे हैं।
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पहले यहां केंद्र सरकार का कोई भी कानून लागू नहीं होता था

आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद अब केंद्र के सभी कानून यहां लागू किए जाते हैं, जबकि पहले यहां केंद्र सरकार का कोई भी कानून लागू नहीं होता था। शिक्षण संस्थानों पर अब तालाबंदी नहीं दिखती है। वहां घाटी ने निवेशकों और कारोबारियों तक को अपनी तरफ आकर्षित किया है। यहां जम्मू-कश्मीर में दोहरी नागरिकता को भी समाप्त कर दिया गया है। वहीं यहां की विधानसभा का कार्यकाल भी अब 6 साल की जगह 5 साल कर दिया गया है।
यह पहली बार है जब जम्मू कश्मीर विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीट आरक्षित की गई है। जिसमें एसटी के लिए 9 सीटें जिसमें से 6 जम्मू के लिए और 3 सीट कश्मीर घाटी में आरक्षित है। इसके साथ ही अनुसूचित जनजाति के लिए पहले से आरक्षित 7 सीटों को यथावत रखा गया है। इसके साथ ही यहां पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया है।
बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरियां दी गई

सरकार ने राज्यसभा में यह भी बताया था कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरियां दी गई हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने यहां के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में 2 एम्स खोलने को मंजूरी मिल गई है। यहां थियेटरों पर बंद पड़े ताले खुल गए हैं। घाटी मंदिरों की घंटियों की आवाज से फिर एक बार गूंजने लगा है।
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घाटी अब आतंकी स्थल नहीं, पर्यटकों का स्थल

वहीं घाटी में अब भड़काऊ नारे नहीं लगते, ना ही देश के खिलाफ कोई जुलूस निकलता है। इसके साथ ही घाटी में बदले हालात का गवाह यह है कि यहां पर्यटन क्षेत्र में विकास के पंख लगे हैं। केंद्र शासित प्रदेश की तरफ पर्यटकों का आकर्षण बढ़ा है। बड़ी संख्या में यहां पर्यटक आ रहे हैं। वहीं 370 के हटने के बाद से अमरनाथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई है। मतलब साफ है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में सुधार के लिए अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद केंद्र सरकार द्वारा की गई अन्य पहलों की वजह से ही घाटी अब आतंकी स्थल नहीं, पर्यटकों का स्थल बन गया है।

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