इनके हमले में कई हो चुके घायल पिछले एक साल के दौरान लंगूर शहर में दर्जनों बार हमला कर चुके हैं। हमलों से बचाव की काफी कोशिशों के बावजूद आधा से एक दर्जन लोग घायल भी हो चुके हैं। बंदरों ने सबसे अधिक बच्चों और बुजुर्गों पर हमले किए। अभी कुछ समय पहले ही शहर में एक बुजुर्ग पर बंदर ने हमला कर दिया था।
सामान नहीं सुरक्षित, बगीचों को पहुंचा रहे नुकसान लंगूरों के आतंक से लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। घरों की छतों पर रखा सामान उठा कर भाग रहे हैं। लोगों को कपडे सुखाना भी मुश्किल हो गया है। बंदर छतों पर सूख रहे कपड़े फाड़ रहे हैं या कपड़े उठाकर कहीं भी फेंक रहे हैं। वहीं देखने में आ रहा है कि ये लंगूर लोगों के बगीचों में भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। बगीचों में लगे फूलए फल व सब्जियों के पेड़.पौधों को तहस नहस कर रहे हैं। इससे लोग काफी परेशान हैं।
कई शिकायतें, लेकिन विभाग ने कार्रवाई नहीं की ऐसा नहीं है कि वन विभाग के अमले को शहर में काले मुंह के लंगूरों के आतंक के किस्से मालूम न हों। बल्कि कई बार इस संबंध में शिकायतें भी की गई हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया। बंदरों से परेशान फुटेरा वार्ड, रेलवे कॉलोनी सहित अन्य जगहों के लोग बताते हैं कि लंगूर कई बार लोगों पर हमले कर चुके हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब लंगूर कोई नुकसान न करते हों। अनेक बार शिकायतें भी कीं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
इधर, हटा, तेंदूखेड़ा व पटेरा में भी बंदरों का आतंक जिला मुख्यालय के अलावा जिले के अन्य प्रमुख कस्बों में भी बंदरों के आतंक से लोग परेशान हैं। हटा, तेंदूखेड़ा और पटेरा में इस मामले में हॉटस्पॉट बने हुए हैं। तेंदूखेड़ा में तो हाल ही में बंदर राहगीरों पर दर्जनों बार हमले कर चुके हैं। यहां इनके निशाने पर मुख्य रूप से बाइक सवार रहते हैं। इसी तरह पटेरा में बस्तियों में घुसकर बंदर हमले कर रहे हैं। हटा में इनके हमले बढऩे पर उन्हें पकडऩे के लिए मथुरा से एक टीम बुलाई गई थी।
वर्जन
लंगूरों को पकडऩे के लिए कर्मचारियों को निर्देश दिए जाएंगे। दरअसल यह पानी और भोजन की उम्मीद में रहवासी इलाकों तक पहुंच रहे हैं।
महेंद्र सिंह उइके, डीएफओ
लंगूरों को पकडऩे के लिए कर्मचारियों को निर्देश दिए जाएंगे। दरअसल यह पानी और भोजन की उम्मीद में रहवासी इलाकों तक पहुंच रहे हैं।
महेंद्र सिंह उइके, डीएफओ