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किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 8 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 8 ….

जयपुरDec 06, 2024 / 11:04 am

sangita chaturvedi

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 8 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 8 ….

परिवार परिशिष्ट (27 नवंबर 2024) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 8 में भेजी गई कहानियों में अवनी सोनी, सैन धवल इंद्रकुमार और दिव्यांश आमेटा क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता रहे। इनके साथ सराहनीय कहानियां भी दी जा रही हैं।
मिट्टी का जादू
एक छोटे से गांव में तीन दोस्त ली, मिंग और चुंग रहते थे। वे अपनी रचनात्मकता के लिए प्रसिद्ध थे। एक दिन ली ने सोचा कि क्यों न मिट्टी से कुछ नया बनाया जाए। उसने मिंग और चुंग से अपनी योजना साझा की। तीनों मिलकर मिट्टी गूंथने लगे। ली ने मिट्टी से एक सुंदर कटोरी बनाई। मिंग ने एक लंबा मग और चुंग ने एक अनोखा दीया तैयार किया। उनकी कलाकृ तियां इतनी सुंदर थीं कि पूरे गांव में चर्चा होने लगी। बच्चे, बूढ़े और जवान सभी उन्हें देखने आए। उनकी कला ने गांव के लोगों को प्रेरित किया। धीरे-धीरे गांव के अन्य लोग भी मिट्टी से वस्तुएं बनाने लगे। कु छ ने फूलदान बनाए, तो कु छ ने खिलौने। यह कला गांव की पहचान बन गई। एक दिन शहर से एक व्यापारी गांव आया। उसने उनके बनाए सामान को देखकर उन्हें खरीदने का प्रस्ताव रखा। दोस्तों ने अपना सामान उसे बेचा और उसने शहर में इसे प्रदर्शित किया। उनकी मेहनत और रचनात्मकता ने न केवल उन्हें पहचान दिलाई, बल्कि उनके गांव को भी मशहूर कर दिया। अब वह गांव ‘मिट्टी के शिल्पकारों का गांव कहलाता है। तीनों दोस्तों ने साबित किया कि साधारण चीजों से भी असाधारण सपने पूरे किए जा सकते हैं।
अवनी सोनी, उम्र-13 वर्ष
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चॉपस्टिक की मस्ती
एक बार की बात है। जापान के एक छोटे से गांव में एक परिवार रहता था। इस परिवार में तीन सदस्य थे – पिता हिरोशी, मां मियाको और बेटा ताकाशी। एक दिन उन्होंने निर्णय लिया कि वे घर पर खास डिश बनाएंगे और साथ बैठकर आनंद लेंगे। हिरोशी ने अपने पारंपरिक जापानी कपड़े पहन लिए और खाना परोसने लगे। मियाको ने अपने बालों में फू लों का गजरा लगाकर पूरे मन से खाना सजाया। ताकाशी जो केवल सात साल का था, इस पूरी प्रक्रिया को देखकर बहुत खुश था। खाना परोसने के बाद सभी ने चॉपस्टिक से खाने का प्रयास शुरू किया। लेकिन ताकाशी को चॉपस्टिक से खाना पकडऩे में परेशानी हो रही थी। कभी चावल गिर जाते, तो कभी सब्जी। उसने हंसते हुए कहा, चॉपस्टिक से खाना पकडऩे की बजाय मैं कटोरी से ही खाऊंगा! यह सुनकर हिरोशी और मियाको ठहाके मारकर हंस पड़े। ताकाशी ने अपनी चाय का प्याला उठाया और कहा, देखो, मैं तो यह भी चॉपस्टिक से पी सकता हूं! यह सुनकर सभी और जोर से हंसने लगे। उस दिन उन्होंने न केवल स्वादिष्ट खाना खाया, बल्कि हंसी और मस्ती के साथ भरपूर समय बिताया। ताकाशी ने सीख लिया कि मस्ती और परिवार के साथ समय बिताने का मजा किसी भी चीज से बढ़कर है। कहानी से सीख यह मिलती है कि जीवन में छोटे-छोटे पलों की खुशी ही असली सुख है।
सैन धवल इंद्रकुमार, उम्र-12 वर्ष
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शिक्षा का अधिकार
एक समय की बात है चाइना के एक गांव में केज नाम का लड़का अपने माता-पिता के साथ खुशी-खुशी रहता था। उसके पिता का एक छोटा सा खाने का स्टॉल था। वे ईमानदारी से अपना काम करते। उनके स्टॉल का खाना पूरे गांव में प्रसिद्ध था। उनका बेटा केज रोजाना उनके काम में मदद करता था। उसके स्टॉल के पास एक विद्यालय था। वह रोज कई बच्चों को विद्यालय में आते-जाते देखता था। लेकिन गरीबी के कारण वह विद्यालय जा नहीं पाता था। एक दिन उसने अपने माता-पिता से पूछा कि क्या वह भी दूसरी बच्चों की तरह विद्यालय जा सकता है। उसकी बात को मां ने अनसुना कर दिया। उसकी यह बात एक शिक्षक ने सुन ली। यह बात सुनकर वह केज के माता-पिता से मिला और उन्हें उसे पढ़ाने के लिए कहा। शिक्षक ने कहा यदि आप अपने बच्चे को पढ़ाना चाहते हैं, तो आप अपने बेटे का दाखिला एक सरकारी विद्यालय में क्यों नहीं करा देते। पैसे की चिंता भी नहीं होगी और आपका बेटा पढ़ लिखकर अच्छा काम भी करने लगेगा। यह बात सुनकर उसके माता-पिता बहुत खुश हुए। उसके माता-पिता ने उसका दाखिला एक सरकारी विद्यालय में करवा दिया। जब यह बात केज को पता चली तो वह बहुत खुश हुआ और अपने माता-पिता को शुक्रिया कहने स्टॉल पर पहुंचा। कल से तुम्हें विद्यालय जाना है, उसकी तैयारी करो। रात को उसके माता-पिता ने कहा, हमें शुक्रिया मत कहो, उस शिक्षक को धन्यवाद दो, जिन्होंने इसको सार्थक करने में हमारी मदद की। उसके बाद केज खुशी से विद्यालय जाने लगा। कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है जहां चाह है, वहां राह है।
दिव्यांश आमेटा, उम्र-9 वर्ष
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भाग्य का खेल
एक बार की बात है चीन में एक राजा था। कु छ समय बाद राजा और रानी को एक लड़का हुआ। राजा ने शाही ज्योतिषी को बुलाने का आदेश दिया। शाही ज्योतिषी को शाही दरबार में बुलाया गया और उससे राजा के लड़के के भविष्य के बारे में पूछा गया। शाही ज्योतिषी ने कहा कि राजा का लड़का परिश्रम और बहादुरी का प्रतीक होगा। वह चीन की अधिकांश भूमि पर कब्जा कर लेगा और उसे अब तक का सबसे बड़ा राजा माना जाएगा। यह सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और उसने अपनी रानी को बताया। समय बीता, लड़का 17 साल का हो गया और वह छोटी सी उम्र में अपने पिता के बाद पूरे देश को संभालने में सक्षम हो गया। फिर एक महीने के बाद ही युद्ध हुआ और राजा ने दूसरे राज्य के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर किया। विनाश इतना अधिक था कि खाने के लिए भोजन तक नहीं था। एक साल बाद स्थिति सामान्य हो गई। दूसरे राज्य ने राजा को मारने के लिए एक जासूस भेजा। जासूस ने दो बोतलें रखीं, जिसमें एक बोतल जहर की थी और दूसरी बोतल में एक अनोखा द्रव्य था, जो एक व्यक्ति को दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बना देगा है। वह छुपकर राजा और उसके परिवार के सूप में जहर मिला रहा था लेकिन उसने किसी के आने की आवाज सुनी और वह भाग गया। सब मारे गए, लेकिन राजा का लड़का बच गया क्योंकि उसने द्रव्य मिला सूप पी लिया था। बाद में उस लड़के ने राजा का कार्यभार संभाला और उस राजपरिवार को खत्म कर दिया, जिसकी जहर वाली करतूत के कारण उसके परिजन मारे गए थे।
निशांत मंत्री, उम्र-11 वर्ष
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मानवता
कोरिया के एक छोटे से गांव में किम अंकल और उनकी पत्नी ली आंटी रहते थे। दोनों बहुत प्यारे और दयालु थे। एक दिन एक भारतीय लड़का अर्जुन कोरिया पढ़ाई के लिए आया, लेकिन उसे यहां की भाषा और संस्कृति से सामंजस्य बैठाने में मुश्किल हो रही थी। वह अकेला महसूस करता था और उसे यहां कोई अपना सा नहीं लगता था। अर्जुन की मदद करने के लिए किम अंकल और ली आंटी आगे आए। उन्होंने न सिर्फ कोरिया के बारे में जानकारी दी, बल्कि उसे परिवार जैसा स्नेह भी दिया। फिर उन सबने मिलकर कोरिया का अद्भुत खाना खाया और नूडल्स खाए। उसके बाद फिर उन्होंने कहा कि तुम कभी अकेले नहीं हो। उनके स्नेह से अर्जुन ने यहां की जिंदगी में धीरे-धीरे अपने कदम जमाए और वह कोरिया को अपना घर मानने लगा। वहां रहकर उसने अच्छी पढ़ाई भी की। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची दोस्ती और इंसानियत का कोई भेद नहीं होता। चाहे हम किसी भी देश या संस्कृति से हों, अगर हम एक-दूसरे की मदद करें और प्यार दिखाएं, तो हम सब एक परिवार की तरह रह सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।
समीक्षा सकलेचा, उम्र-12 वर्ष
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घर का खाना
एक समय की बात है। एक शहर में अपने माता-पिता के साथ एक लड़का रहता था। उसके पापा की कभी भी छुट्टी नहीं होती थी। कामकाज में व्यस्त रहते थे। यहां तक संडे को भी छुट्टी नहीं होती थी। एक दिन उनको छुट्टी मिल गई। पूरा परिवार खुश था। वे सब घूमने गए। वहां पर उन सबने खाना खाया पर, वहां का खाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। फिर वे सब वापस घर आए और फिर घर पर मां से खाना बनाया और उन्होंने सबने भरपेट खायाा। वाकई में घर का खाना ही सबसे अच्छा और सेहतमंद होता है।
-वरदान भारद्वाज, उम्र-8 वर्ष

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