जिला परिषद के अधीशासी अभियन्ता हरीकेश सिंह ने बताया कि मियावाकी पद्धति जापानी वनीकरण विधि है। इसमें पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है। पौधे सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर वृद्धि करते हैं। पौधों के तीन प्रजातियों की सूची तैयार की जाती है। ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है। जैसे कि एक पेड़ खजूर का लगाया जाएगा, तो दूसरा नीम, शीशम आदि का होगा। तीसरा पौधा किसी भी तरह की फुलवारी का हो सकता है। इसमें खास बात यह है कि एक पेड़ ऊंचाई वाला तथा दूसरा कम ऊंचाई वाला तथा तीसरा घनी छायादार पौधा चुना जाता है। इन तीनों पौधों को थोड़े-थोड़े दिन के अंतराल पर लगाया जाता है।
यहां लगेंगे पौधे एक जुलाई से पौधारोपण अभियान की शुरूआत होगी। पौधे पंचायत परिसर, स्कूल भवन, स्कूल मैदान, सार्वजनिक स्थान, चारागाह में पौधे लगाए जाएंगे। पौधारोपण के बाद जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। पहली बार एप से पौधों की निगरानी की जाएगी। पहले दिन पौधा लगाने पर एप पर फोटो डाला जाएगा। इसके बाद 4-4 माह में ग्रोथ के फोटो डाले जाएंगे। जिले में पौधे लगाने के लिए शुक्रवार को जिला परिषद की साधारण सभा में चर्चा की जाएगी।