लेखकों और शिक्षाविदों के एक वर्ग ने सरकार से स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीएसइएल) द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के तहत निजी स्कूलों के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में 3,000 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने के निर्णय को वापस लेने का आग्रह किया है। इनकी राय है कि सरकार को बुनियादी ढांचे में सुधार करके दिल्ली मॉडल पर सरकारी स्कूलों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
कक्षा 8 तक मातृभाषा में मिले शिक्षा शिक्षाविद निरंजनाराध्या वी.पी. के अनुसार शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सरकार को कम-से-कम कक्षा 8 तक मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। कन्नड़ भाषा शिक्षण अधिनियम, 2015 के तहत कन्नड़ को पहली भाषा के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखे बिना, अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू करने का सरकार का निर्णय गलत है।लेखक जी. रामकृष्ण ने कहा, सरकार को चाहिए कि मौजूदा शोध और आम सहमति के आधार पर शिक्षा के माध्यम के बारे में उचित निर्णय ले। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या साल दर साल कम होती जा रही है और इसे रोकने के लिए गंभीर पहल की जरूरत है।