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प्रथम अपर सत्र न्यायालय ने किया अटल का जमानत आवेदन निरस्त, न्यायाधीश बोले – कानून के जानकार आरोपी पर पहले से केस लंबित, उसे जमानत नहीं दे सकते

आगर-मालवा. आगर न्यायालय के तत्कालीन प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्रदीप दुबे पर जूता फेंकने के आरोपी नितिन अटल की जमानत याचिका शुक्रवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने निरस्त कर दी। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश अमरकुमार शर्मा के न्यायालय में नितिन पिता घनश्यामदास अटल ने जमानत आवेदन प्रस्तुत किया। अभिभाषक एसके मारू तथा […]

अगार मालवाJun 22, 2024 / 01:21 am

Ashish Sikarwar

Nitin Atal

आगर-मालवा. आगर न्यायालय के तत्कालीन प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्रदीप दुबे पर जूता फेंकने के आरोपी नितिन अटल की जमानत याचिका शुक्रवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने निरस्त कर दी। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश अमरकुमार शर्मा के न्यायालय में नितिन पिता घनश्यामदास अटल ने जमानत आवेदन प्रस्तुत किया। अभिभाषक एसके मारू तथा पुष्पराज सिंह मौजूद हुए। राज्य की ओर से अपर लोक अभियोजक यशराज परमार तथा अभिभाषक कौसर खान ने आपत्ति ली। सभी पक्ष सुनने के बाद न्यायालय ने आवेदन निरस्त करते हुए कहा कि आवेदक जो स्वयं अधिवक्ता है। उसकी न्यायालय के प्रति सम्मान की श्रेणी एक सामान्य व्यक्ति से उच्च स्तर की होती है। अधिवक्ता का न्यायालय के प्रति असम्मान व्यक्त करते हुए आसंदी पर बैठे पीठासीन न्यायाधीश पर हमला करना, गाली-गलौज करना, संत्रास कारित करने के लिए धमकी देना तथा प्रकरण के दस्तावेज खींचकर ले जाने की कोशिश करना आश्चर्यजनक है। केस डायरी के साथ आवेदक का आपराधिक रिकॉर्ड संलग्न हैं, जिसके अनुसार आवेदक पर हस्तगत प्रकरण के अतिरिक्त अन्य पांच प्रकरण लंबित हैं। यद्यपि पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड होना जमानत निरस्ती का आधार नहीं है परंतु एक अभिभाषक पर प्रकरण लंबित होना आश्चर्यजनक है क्योंकि आवेदक स्वयं अभिभाषक है। आवेदक अपराध पंजीबद्ध होने के बाद निरंतर फरार रहा है। उसके विरद्ध उद्घोषणा जारी कर सम्पत्तियों की कुर्की की गई। प्रकरण के तथ्य परिस्थिति, आवेदक के कृत्य, कारित प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए न्यायालय ने जमानती आवेदन निरस्त कर दिया।

पुलिस ने पहले धारा बढ़ाई और उसी धारा को किया कम
पुलिस के प्रस्तुत प्रतिवेदन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहली बार देखा जा रहा है कि पुलिस ने प्रकरण को मजबूत करने की अपेक्षा कमजोर करने में कसर नहीं छोड़ी। २२ जनवरी को घटित घटनाक्रम के बाद पुलिस ने धाराओं में इजाफा किया और जिस धारा ३३३ भादसं को बढ़ाया, उसे पुलिस ने कम करने का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत कर दिया। यहां तक ​कि कोई सामान्य मामला होता तो पुलिस अब तक न्यायालय में चालान प्रस्तुत कर देती लेकिन इस मामले में चालान तक पेश नहीं किया गया। विधि विद्वानों के मुताबिक समय पर चालान पेश न करने से आरोपी को डिफाल्ट बेल मिलने की संभावना रहती है।

२३ अप्रेल को किया था अटल को गिरफ्तार
२२ जनवरी को न्यायालय में घटना कारित करने वाले आरोपी नितिन अटल को २३ अप्रेल को पुलिस ने मप्र-छत्तीसगढ़ की बार्डर से गिरफ्तार किया था। २०१३ में जमीन की जालसाजी के संबंध में कोतवाली थाना आगर में दर्ज हुए प्रकरणों के आरोपी अटल ने २२ जनवरी को आगर कोर्ट में बतौर अभिभाषक जिरह के दौरान पीठासीन न्यायाधीश प्रदीप दुबे से बदसलूकी करते हुए जूते से हमला कर दिया था। हमले में न्यायाधीश के कान में गंभीर चोट आई थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर मामला जांच में लिया था। आरोपी की धरपकड़ के लिए एसपी विनोदकुमार सिंह ने १० हजार रुपए के इनाम की घोषणा भी की थी। न्यायालय ने गिरफ्तारी के लिए बाकायदा संपत्ति कुर्की की कार्रवाई के आदेश दिए। इस पर प्रशासन ने आरोपी की संपत्ति कुर्क भी की थी। इधर, मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद ने संज्ञान लेते हुए अटल की सनद भी निलंबित कर दी है।

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