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द्रमुक नीत इंडिया गठबंधन के सिर बंधा सेहरा – भाजपा फिर खाता खोलने में नाकाम

तमिलनाडु ने दोहराई 2004 की सफलता की कहानी

चेन्नईJun 04, 2024 / 06:11 pm

PURUSHOTTAM REDDY

चेन्नई @ पी. एस. विजयराघवन

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन ने भाजपा नीत एनडीए और अन्नाद्रमुक का सूपड़ा साफ कर दिया। स्टालिन ने पिता एम. करुणानिधि की अगुवाई में २००४ के आम चुनाव का स्मरण करा दिया जहां उनकी अगुवाई वाले गठबंधन ने राज्य की सभी सीटों पर चुनाव जीता था। चुनाव रुझान शुरू होने के साथ ही ऐसा लग रहा था मानो भाजपा व अन्नाद्रमुक में दूसरे और तीसरे पोजीशन की लड़ाई चल रही है। एक हद तक पीएमके का धर्मपुरी में संघर्ष नजर आया। शेष सीटों पर आए रुझान मानो ऐसे लग रहे थे कि इंडिया गठबंधन ने चुनाव से पहले ही ‘रण’ जीत लिया है।

19 अप्रेल को हुए मतदान में राज्य के करीब सत्तर फीसदी मतदाताओं ने साढ़े नौ सौ प्रत्याशियों का भाग्य तय कर दिया था। सुबह आठ बजे राज्य के उनचालीस मतगणना केंद्रों में कड़ी सुरक्षा के बीच मतों की गिनती शुरू हुई। पहले डाकमत गिने गए और बाद में स्ट्रांग रूम में रखी गई ईवीएम की बारी आई।

डाकमतों से मिल गए संकेत

डाकमतों की गिनती से संकेत स्पष्ट थे कि राज्य में जो दस्तूर दो दशकों से चला आ रहा है, उसी तरह का परिणाम आएगा और वैसा ही आया। बता दें कि २००४ से मंगलवार को आए परिणाम तक में, एक गठबंधन अथवा पार्टी ने अन्य दलों को पूरी तरह पछाड़ दिया। इस बार के नतीजे तो २००४ का जेरोक्स ही थे। द्रमुक गठबंधन ने पुदुचेरी की एक समेत सभी चालीस सीटें अपने नाम कर लीं।

केंद्र के खिलाफ माहौल
चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री और अन्य चुनाव प्रचारकों ने जीत की नींव डालते हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि राज्य के मतदाता असंतोष से भर जाएं। उनको रह-रहकर यह स्मरण कराया गया कि तमिलनाडु केंद्रीय करों में जो योगदान देता है उसका केवल २६ पैसा वापस मिलता है। बाढ़ राहत के नाम पर उसे ढेला भी नहीं मिला। केंद्र सरकार राज्य पर हिन्दी थोप रही है। केंद्रीय नौकरियों में तमिलनाडु को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। साथ ही भाजपा को इस रूप में पेश किया गया कि वह कार्पोरेट जगत की सरकार है। चुनाव के ठीक पहले इलेक्टॉरल बॉन्ड वाले मसले ने भी मतदाताओं की सोच को प्रभावित किया।

पीएम मोदी व अन्नामलै का जादू नहीं चला
करीब एक साल पहले से ही भाजपा ने राज्य में कुछ सीटों को चिन्हित कर लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन दक्षिण के तहत राज्य में आठ से अधिक रैलियां कीं। अंतिम चरण के चुनाव से पहले तो वे कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे तक ध्यान पर बैठे। इससे पहले जनवरी महीने में राम मंदिर के कुंभाभिषेक से पूर्व भी उन्होंने सभी महत्त्वपूर्ण मंदिरों के दर्शन किए थे। जहां मोदी अपने भाषण और आश्वासन से मतदाताओं को रिझा नहीं सके तो, वहीं प्रदेशाध्यक्ष के. अन्नामलै जिन्हें पार्टी का तारणहार समझा जा रहा था, खुद चुनाव नहीं जीत सके।

चुनाव नतीजे 2024
द्रमुक 22 कांग्रेस
09 वीसीके 02

भाकपा 02
माकपा 02

एमडीएमके 01
आइयूएमएल 01

दिग्गज जीते
दयानिधि मारन, ए. राजा, कनिमोझी करुणानिधि, कार्ति चिदम्बरम, टी. आर. बालू, थोल तिरुमावलवन, एस. जगतरक्षकन

दिग्गज हारे
डा. तमिलइसै सौंदरराजन, एल. मुरुगन, के. अन्नामलै, सौम्या अन्बुमणि, ओ. पन्नीरसेल्वम, टीटीवी दिनकरण, नैनार नागेंद्रन, पोन राधाकृष्णन, राधिका शरथ कुमार
बड़े मार्जिन से जीत

बड़े नामों वाले चुनाव में माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सच्चिदानंदम आर. ने दिंडीगुल लोकसभा सीट लगभग 4.30 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीती। उनको लगभग साढ़े छह लाख से अधिक वोट मिले। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक के मोहम्मद मुबारक एम. ए. रहे। मोहम्मद मुबारक की तरह लगभग इतने ही मार्जिन से जीतने वाले प्रत्याशी रहे कांग्रेस के शशिकांत बालाजी। बालाजी ने तिरुवल्लूर रिजर्व सीट से चुनाव लड़ा और भाजपा के वी. पोन. बालगणपति को शिकस्त दी।

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