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divorce case : तलाक के मामले में हाईकोर्ट का फैसला, नहीं चली पत्नी की मनमानी

गुजारा भत्ता महिला के जीवनयापन का जरिया और उसके अस्तित्व से जुड़ा विषय है। ट्रायल कोर्ट को पुनर्मूल्यांकन कर नए सिरे से भरण-पोषण भत्ता निर्धारित करने के आदेश दिए। मामला भोपाल निवासी दंपती से जुड़ा हुआ है।

जबलपुरSep 25, 2024 / 12:18 pm

Lalit kostha

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divorce case : तलाक के मामले में हाईकोर्ट ने पत्नी को एकमुश्त चार लाख रुपए देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने कहा कि गुजारा भत्ता महिला के जीवनयापन का जरिया और उसके अस्तित्व से जुड़ा विषय है। ट्रायल कोर्ट को पुनर्मूल्यांकन कर नए सिरे से भरण-पोषण भत्ता निर्धारित करने के आदेश दिए। मामला भोपाल निवासी दंपती से जुड़ा हुआ है।

divorce case : गुजारा भत्ते की राशि एकमुश्त देना ठीक नहीं

विपिन कुमार बेलवंशी ने पत्नी से तलाक दिलाने के लिए भोपाल के फैमिली कोर्ट में आवेदन लगाया। इसके जवाब में विपिन की पत्नी ने अंतरिम भरण-पोषण का आवेदन दायर कर दिया। फैमिली कोर्ट ने पत्नी को एकमुश्त 4 लाख रुपए दिए जाने का आदेश पारित किया। साथ ही तर्क दिया कि यह राशि महिला को संवर्धन के लिए दी जा रही है। भोपाल फैमिली कोर्ट के आदेश को महिला ने चुनौती देते हुए पति के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

divorce case : लाख रुपए एकमुश्त देने का आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द

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divorce case : पति की कमाई एक लाख से ज्यादा

पत्नी ने याचिका में दावा किया कि पति एक माह में 1 लाख रुपए से अधिक कमाता है। 15 एकड़ कृषि भूमि व कई आवासीय संपत्ति भी है। अधिवक्ता ने कहा, ट्रायल कोर्ट को एकमुश्त राशि के बजाय मासिक अंतरिम रखरखाव राशि तय करनी चाहिए। ताकि वह बुनियादी जरूरतें पूरी कर सके। इससे सहमत कोर्ट ने कहा, ट्रायल कोर्ट पत्नी को मासिक मिलने वाले भरण-पोषण की राशि तय करे।

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