प्राकृतिक कृषि पर काम रहे सामाजिक संस्था से मेले में किया संवाद
जिले के करकेली जनपद अंतर्गत ग्राम अमड़ी में देशी बीज मेले का आयोजन किया गया। प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय गठबंधन चौप्टर मध्यप्रदेश एवं एसडीआईए के सहयोग से आयोजित इस मेले में खाद्य सुरक्षा एवं प्राकृतिक कृषि पर काम कर रही समाजिक संस्था से संवाद किया गया। मेले में अमड़ी, खैरा, अगनहुडी, जुनवानी, मरदर, कोहका, डोंगरगवां, करौंदी एवं धवईझर सहित आकाशकोट के कई गांव के प्राकृतिक खेती से जुड़े 138 किसानों ने भाग लिया। मेले में खरीफ सीजन के 19 प्रकार के आनाज, दलहन, तिलहन एवं सब्जियों के 106 किस्मों की प्रदर्शनी लगाई। मेले में किसानों ने एक दूसरे से बीजों के बारे में जाना समझा, 44 किसानों ने आपस में बीज विनिमय किया। कृषि विज्ञान केंद्र ने मेले में किसान सम्मान निधि का टेलीकॉस्ट भी किया गया। मेले का शुभारंभ फूल बाई एवं नगीना के गीत से किया गया। कार्यक्रम मे अपनी बात रखते हुए किसान दयाराम सिंह ने गत 50 वर्षों का खेती व देशी बीज का अनुभव बताते हुए विलुप्त हो रहे बीजों पर चर्चा किया। किसान प्रेम सिंह ने बताया कि बेदरी के माध्यम से पहले हमारे गांव में बीज अंकुरण एवं प्रदर्शन करते थे जिसका बीज पूरा जमता था तो उन्हीं बीजों का उपयोग पूरा गांव करता था। अब जैसे-जैसे देशी बीज विलुप्त होते जा रहे हैं ये परम्पराएं भी खत्म हो रही हैं। वातायन के अध्यक्ष एवं किसान जगदीश पयासी ने परम्परागत बीज संरक्षण पर जोर देते हुए देशी बीज एवं हाईब्रीड बीजों के गुण में अंतर बताया।
इन बीजों में अधिक बीमारियों का प्रकोप
रामलखन सिंह चौहान ने पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती पर चर्चा की। डॉ. के पी तिवारी ने कहा कि हमें देशी बीजों के संरक्षण के साथ-साथ इन में से हाई ईल्ड वैरायटी को भी चिन्हित करना होगा। हमारे विश्व विद्यालय द्वारा तैयार स्थानीय वैरायटियों को भी आवश्यकता अनुसार अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि देशी बीजों की अपेक्षा हाईब्रीड बीजों में अधिक बीमारियों का प्रकोप रहता है। हाईब्रीड बीजों में देशी बीज से चार गुना ज्यादा खाद पानी लगता है।
देशी बीजों के संरक्षण पर दिया जोर
विकास संवाद के जिला समन्वयक भूपेंद्र त्रिपाठी ने मेले के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राकृतिक कृषि के राष्ट्रीय गठबंधन ने जो देशी बीजों के संरक्षण की पहल आज हो रही है, इसे हम सब को अपने-अपने गांव तक ले जाना है। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने जरूरत के देशी बीजों का संरक्षण करेंगे तभी हम इसे बचा सकेंगें। हम सब का प्रयाश इस पहल को एक आंदोलन में परिवर्तित कर देगा। कार्यक्रम को डॉ. केपी तिवारी, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र उमरिया, डॉ. धनन्जय सिंह कृषि वैज्ञानिक उमरिया, अमित यादव उपयंत्री वॉटर सेड, पर्यावरण प्रेमी एवं सेवानिवृत शिक्षक रामलखन सिंह चौहान, वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश पयासी, शम्भू सोनी एवं भूपेन्द्र त्रिपाठी ने संबोधित किया। मेले का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता नगीना सिंह ने किया। कार्यक्रम में अमर सिंह, रामखेलावन सिंह, बलराम झरिया, सतमी बैगा, शशी सिंह, यशोदा राय, मुन्नी बाई रैदास, फूल बाई सिंह, हेमराज सिंह, कमलभान, लवकुश सिंह एवं हिरेश सिंह का विशेष सहयोग रहा। आभार प्रदर्शन सामाजिक कार्यकर्ता संपत नामदेव ने किया।
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