अभी क्या है स्थिति
हालांकि मई-जून माह में जीसीसी को सभी ड्रेनेज और नालों की सफाई सुनिश्चित करनी होती है। इस बार पूरा जून माह बीतने के बाद भी कार्य पूरा नहीं हुआ है। ज्यादातर ड्रेनें गंदगी से अटी पड़ी हैं। जलकुंभी और अन्य प्रकार की झाडि़यों के कारण बारिश से पहले ही निकासी व्यवस्था खस्ताहाल में है। अगर जल्द सफाई का कार्य पूरा नहीं हुआ तो आगे तेज बारिश के मौसम में स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है।
अभी कार्य पूरा होने में समय लगेगा
जीसीसी के मुख्य अभियंता एस राजेंद्रन ने हाल ही बताया था कि पिछले साल दिसम्बर में चेन्नई में हुई भारी बारिश जैसी स्थिति से निपटने के लिए यह कोष अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि चेन्नई के उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में 7-8 सेमी/घंटा की बारिश को संभालने के लिए नए नाले बनाए जा रहे हैं। हालांकि जीसीसी की ओर से बाढ़ राहत बचाव कार्य करवाया जा रहा है, लेकिन अभी कार्य पूरा होने में समय लगेगा।
नार्थ चेन्नई के अधिकांश हिस्सों में काम या तो अधूरा है या शुरू ही नहीं हुआ है। क्या मानसून से पहले जल निकासी व्यवस्था लागू हो जाएगी? एसडब्ल्यूडी में इतना पैसा खर्च होने के बाद क्या जीसीसी आपके क्षेत्र में बाढ़ को रोकने में कामयाब हो पाएगी? उत्तरी चेन्नई के कई क्षेत्रों में समस्याएं जस के तस बनी हुई हैं। वर्षा जल नालियों की ढलान और गाद पकड़ने वाले गड्ढों के खराब रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया है।
नालों की सफाई में खेल
नालों की सफाई में भी खेल हो रहा है। मुख्य मार्ग पर खड़े होकर जहां तक नालों को देखा जा सकता है वहां तक ऊपरी तौर पर सफाई कर दिखावा कर दिया गया है। जबकि उसके आगे के सैकड़ों मीटर नाले सिल्ट से पटे पड़े हैं। इस पर निगम के अधिकारी ने कहा कि हमने ऐसी छोटी-मोटी समस्याओं की जांच करने और उन्हें दूर करने के लिए सर्वेक्षण किया है। हमने एक अनुमान लगाया है और ऐसी समस्याओं पर काम किया जा रहा है। इसके लिए धन जीसीसी के बजट से आता है। अरप्पोर इयाक्कम के स्वयंसेवक प्रशांत गौतम कहते हैं कि पिछले मानसून के दौरान भी वर्षा जल निकासी नालियों का निर्माण पूरी तरह से नहीं किया गया था और जो बनाई गई थीं, वे भी मुख्य नहरों से जुड़ी नहीं थीं। जिससे बाढ़ आ गई।
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