इसमें नक्सल पीड़ित और पुलिस पीड़ित दोनों शामिल हैं। यह आरोप इसलिए भी गंभीर हो जाता है क्योंकि यह सारी बातें उन्होंने ग्रामीणों के बयान के आधार पर दर्ज की है। उनका कहना है कि नक्सली घटना हो या फिर पुलिस। इनके बीच चल रहे युद्ध में मासूम बेगुनाह आदिवासी ही मारे जा रहे हैं।
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CG News: दो दिन में करीब 18 घंटे से चल रहा आदिवासियों का बयान:
इस जनसुनवाई का कार्यक्रम शनिवार से चल रहा है। इसमें पीडिय़ा, इत्तेवार समेत अन्य इलाके के करीब 30 से अधिक लोग रविवार की देर शाम तक अपना वीडियो बयान दर्ज कराते रहे। इसमें उन्होंने पुलिस द्वारा दी गई यातनाएं और पुलिस की गोली से अपनों को खोने का दर्द बयां किया। इसमें 6 साल का कुंमाज सुरेश भी पहुंचा था। उसने बताया कि उसकी बहन तेंदूपत्ता बिनने के लिए गई हुई थी। इसी दौरान फोर्स यहां पहुंची और उनकी गोली बहन को लग गई। मौके पर ही मौत हो गई। उसने यह भी बताया कि उसके बाद से बहन नहीं दिखी है। यह मासूमियत भरी बात सुनकर पीयूसीएल की टीम के आंखों में भी आंसू आ गए। इस तरह के कई मामले सामने आए।
पुलिस नक्सल मोर्चे पर लगातार कर रही है काम
Chhattisgarh News: इस जनसुनवाई के दौरान गांव के युवा लोगों ने यहां एक गाना भी प्रस्तुत किया। जिसमें हमें जीने दो… अंबेडकर और हमें न्याय चाहिए जैसे विषय पर गोंडी व हिंदी में गाना तैयार किया और खुद सुनाकर अन्य लोगों को भी बताया। उनके इस गायन से अन्य लोग भी काफी उत्साहित नजर आए। गोंडी में इस तरह के गीत सुनकर अन्य क्षेत्रों से आए पीड़ितों ने खुशी जाहिर की और इस दिशा में प्रयास करने की बात कही। वहीं पीयूसीएल के सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वकील कोलिन गोंसाल्वेस ने भी कहा कि यह अपने आप में शानदार मुहिम है। सारे आरोप निराधार हैं। पुलिस नक्सल मोर्चे पर लगातार काम कर रही है। इसमें सफलता भी मिल रही है। यह आदिवासियों के लिए विकास का रास्ता खुल रहा है। निर्दोषों की मौत नक्सलियों की गोली या फिर उनके द्वारा लगाए गए आईईडी से हुई है।