विस्थापन कम हो इस पर किया फोकस बताया जा रहा है कि रिंग रोड के प्रोजेक्ट को बीते दोनों शासन से स्वीकृति मिली। उसमें कम से कम विस्थापन हो और कम लोग प्रभावित हो इस बात का ध्यान रखा गया है। पूर्व में विस्थापन और मुआवजा को लेकर ही मामला उलझा था।
ऐसे मिलेगा फायदा वर्तमान में जो लोग लखनादौन की ओर जाना चाहते हैं वे सीधे फोरलेन के सहारे सागर के बाहर से ही निकल जाते हैं। दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर समेत अन्य जिलों के लोगों को सागर में प्रवेश नहीं करना पड़ेगा, लेकिन जब वे भोपाल के लिए सफर करते हैं, तो उन्हें सागर शहर में प्रवेश करना ही पड़ता है। जैसे ही लेहदरा नाका से ढाना बाईपास तैयार होगा तो अनावश्यक रूप से शहर में प्रवेश करने वाले वाहनों पर रोक लग जाएगी।
एनएचएआई को नहीं रहती जानकारी रिंग रोड पर पूर्व में एनएचएआई एजेंसी काम कर रही थी लेकिन विभाग की जिम्मेदार अधिकारियों को मामले में कोई जानकारी ही नहीं है। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुनील शर्मा का कहना है कि अभी सभी तरह के काम बंद है। रिंग रोड की वर्तमान में क्या स्थिति है, इसकी भी जानकारी नहीं है। सभी प्रकार के अप्रूवल और अन्य गतिविधियां दिल्ली स्तर पर होती है।
शहर विकास के लिए आवश्यक कदम सागर में काफी समय से विकास के कदम रुके हुए हैं, ऐसे में ये सड़क मील का पत्थर साबित होगी। इससे शहर की सीमा का विस्तार बढ़ेगा। नए प्रोजेक्ट को खुलकर जगह मिलेगी और नई कॉलोनियां काटी जाएंगी। शहर के रियल एस्टेट कारोबार को भी पंख लगेंगे। कुछ बाहरी निवेशक भी यहां निवेश के लिए आ सकते हैं। सागर विकास की दौड़ में तेजी से दौड़ सकता है। जो आज की महती जरूरत है।
फैक्ट फाइल – 3 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े वाहनों का रिंग रोड के बाद रुक जाएगा प्रवेश – 3 किलोमीटर तक राजघाट मार्ग पर सागर और बढ़ेगा – 300 से ज्यादा यात्री बसें भी भोपाल रोड से मुख्य बस स्टैंड राजघाट मार्ग तक पहुंच सकेंगी।
जुलाई से काम शुरू होगा यह प्रोजेक्ट पूर्व में कुछ कमियों के कारण अटका था लेकिन इसको बाद में स्वीकृति मिल गई थी। जुलाई से इसका जमीनी स्तर पर काम भी शुरू होगा। – शैलेंद्र जैन, विधायक सागर