डेम में जलभराव आज सुबह फुल केपेसिटी पर आ गया है। डेम का गेज कुल भराव क्षमता से 10 सेंटीमीटर ज्यादा बढ़कर 315.60 आरएल मीटर पर आ गया। राज्य के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने विधिवत पूजा अर्चना कर डेम के गेट खोले। हालांकि अभी त्रिवेणी में पानी का बहाव थोड़ा घटकर 3.80 मीटर पर आ गया लेकिन फिर भी डेम में अनवरत पानी की आवक जारी है। टोंक जिला कलक्टर सौम्या झा समेत जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग के कई अधिकारी डेम पर मौजूद रहे। डेम के गेट संख्या नौ और 10 एक-एक मीटर उंचाई तक खोलकर पानी की निकासी शुरू की गई है।
पानी की निकासी के साथ ही डेम के डाउन स्ट्रीम क्षेत्र में जलसंसाधन विभाग ने सुरक्षा को लेकर निगरानी बढ़ा दी है। जानमाल और पशुधन की सुरक्षा को लेकर विभाग ने नदी क्षेत्र से ग्रामीणों को दूर रहने की अपील की है। डेम ओवरफ्लो होने को लेकर ग्रामीणों भी खुशी की लहर दौड़ गई है। गौरतलब है कि बांध ओवरफ्लो होने पर कुल जलभराव में से 16.2 टीएमसी पानी पेयजल और 8 टीएमसी पानी की सिंचाई के लिए रिजर्व रखने का नियम है। ऐसे में इस बार फिर से किसानों को सिंचाई के लिए बांध से भरपूर मात्रा में पानी मिलने की उम्मीद है।
आज सुबह यूं बढ़ा बांध में जलस्तर
आज सुबह 6 बजे जलस्तर- 315.48 आरएल मीटर
सुबह 8 बजे जलस्तर- 315.49 आरएल मीटर
सुबह 10 बजे जलस्तर- 315.55 आरएल मीटर
सुबह 11 बजे जलस्तर- 315.60 आरएल मीटर फैक्ट फाइल
बीसलपुर बांध परियोजना
बांध का 1985 में हुआ था शिलान्यास
1987 में बांध का शुरू हुआ निर्माण
1996 में बांध बनकर तैयार
832 करोड़ रुपए आई लागत
आज सुबह 6 बजे जलस्तर- 315.48 आरएल मीटर
सुबह 8 बजे जलस्तर- 315.49 आरएल मीटर
सुबह 10 बजे जलस्तर- 315.55 आरएल मीटर
सुबह 11 बजे जलस्तर- 315.60 आरएल मीटर फैक्ट फाइल
बीसलपुर बांध परियोजना
बांध का 1985 में हुआ था शिलान्यास
1987 में बांध का शुरू हुआ निर्माण
1996 में बांध बनकर तैयार
832 करोड़ रुपए आई लागत
जल भराव क्षमता
315.50 आरएल मीटर कुल जल भराव क्षमता
38.708 टीएमसी पानी का होता है भराव अब तक सात बार बांध ओवरफ्लो
2004 में निर्माण के बाद पहली बार गेट खुले
2006 में दूसरी बार छलका बांध
2014 में तीसरी बार खोले गए गेट
2016 में भी बांध के खुले गेट
2019 में बांध के 17 गेट खोले
2022 में भी छलका बांध
2024 में इस बार सातवीं बार छलका डेम
315.50 आरएल मीटर कुल जल भराव क्षमता
38.708 टीएमसी पानी का होता है भराव अब तक सात बार बांध ओवरफ्लो
2004 में निर्माण के बाद पहली बार गेट खुले
2006 में दूसरी बार छलका बांध
2014 में तीसरी बार खोले गए गेट
2016 में भी बांध के खुले गेट
2019 में बांध के 17 गेट खोले
2022 में भी छलका बांध
2024 में इस बार सातवीं बार छलका डेम
बांध का उद्देश्य बांध का मुख्य उद्देश्य जयपुर, अजमेर में जलापूर्ति के साथ ही टोंक जिले में सिंचाई कार्य करना था। जिसमे 16.2 टीएमसी पानी पेयजल के लिए व 8 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए रिजर्व रखा गया है।
बांध एक नजर में
बीसलपुर डेम में कुल 18 गेट हैं जो 15गुना 14 मीटर साइज के बनाए गए हैं।
बांध की लंबाई 576 मीटर व समुद्रतल से उंचाई 322.50 मीटर है।
बांध का जलभराव क्षेत्र 25 किमी है जिसमें से कुल 21 हजार 30 हैक्टेयर भूमि जलमग्न रहती है।
बीसलपुर बांध से टोंक जिले में सिंचाई के लिए दायीं व बायीं दो मुख्य नहरों का निर्माण वर्ष 2004 में पूर्ण हुआ था।
दायीं नहर की लंबाई 51 व बायीं नहर की लंबाई 18.65 किमी है। जिनसे टोंक जिले की 81 हजार 800 हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
दायीं मुख्य नहर से 69 हजार 393 हैक्टेयर व बायीं से 12 हजार 407 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई कार्य होता है।
बीसलपुर डेम में कुल 18 गेट हैं जो 15गुना 14 मीटर साइज के बनाए गए हैं।
बांध की लंबाई 576 मीटर व समुद्रतल से उंचाई 322.50 मीटर है।
बांध का जलभराव क्षेत्र 25 किमी है जिसमें से कुल 21 हजार 30 हैक्टेयर भूमि जलमग्न रहती है।
बीसलपुर बांध से टोंक जिले में सिंचाई के लिए दायीं व बायीं दो मुख्य नहरों का निर्माण वर्ष 2004 में पूर्ण हुआ था।
दायीं नहर की लंबाई 51 व बायीं नहर की लंबाई 18.65 किमी है। जिनसे टोंक जिले की 81 हजार 800 हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
दायीं मुख्य नहर से 69 हजार 393 हैक्टेयर व बायीं से 12 हजार 407 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई कार्य होता है।
कहां कितनी जलापूर्ति अभी जयपुर शहर को रोजाना 500 एमएलडी से ज्यादा पानी सप्लाई हो रहा है। इसी से जुड़ी मालपुरा-दूदू पाइप लाइन से 600 गांव व सात कस्बों में भी रोजाना जलापूर्ति होती है। झिराना- चाकसू पाइप लाइन से 984 गांव व कुछ कस्बों में पानी की आपूर्ति की जाती है।
अजमेर शहर समेत 1100 से ज्यादा गांव, नसीराबाद, ब्यावर, किशनगढ़,केकड़ी, सरवाड़, पुष्कर, विजयनगर समेत 8 कस्बों में बांध से रोजाना जलापूर्ति होती है।
टोंक समेत देवली, उनियारा कस्बों व इससे जुड़े 436 से ज्यादा गांवों और 773 ढाणियों भी बांध से रोजाना जलापूर्ति होती है।
अजमेर शहर समेत 1100 से ज्यादा गांव, नसीराबाद, ब्यावर, किशनगढ़,केकड़ी, सरवाड़, पुष्कर, विजयनगर समेत 8 कस्बों में बांध से रोजाना जलापूर्ति होती है।
टोंक समेत देवली, उनियारा कस्बों व इससे जुड़े 436 से ज्यादा गांवों और 773 ढाणियों भी बांध से रोजाना जलापूर्ति होती है।