रिपोर्ट में भी छुपाए कई तथ्य राजस्थान पत्रिका के एक मई के अंक में मिलीभगत का खेल…नदी-तालाबों की कोख खाली कर रहे बजरी माफिया शीर्षक से प्रकाशित समाचार के बाद निदेशालय के निर्देश पर भीलवाड़ा विभाग ने जांच की। इसमें कई तथ्य सामने आए, जिनका जवाब बिजौलिया खनिज अभियंता सत्यनारायण कुमावत ने नहीं दिए। विभाग ने कुमावत से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी तो इसमें भी शर्तों का जिक्र नहीं किया। जबकि शर्ते के आधार पर बोलीदाता को रवन्ना बुक देने का प्रावधान नहीं है। फिर भी बोलीदाता प्रभुलाल धाकड़ को नियम विरूद्ध आठ रवन्ना बुक जारी कर दी। साथ ही बजरी नीलामी शर्त संख्या 11 से 20 तक का उल्लंघन हुआ। बजरी परिवहन ट्रैक्टर ट्रॉली से होना था, लेकिन डंपरों से बाहर भेजी गई। इसका उल्लेख रवन्ना बुक की तीसरी प्रति के आधार पर किए असेसमेंट में किया। इससे बोलीदाता को फायदा हुआ। वही विभाग को प्रति डंपर के 5.20 लाख रुपए के जुर्माना राशि मिलनी चाहिए थी, जो नहीं मिली।
तीन प्रतियों में होती रवन्ना बुक खनिज विभाग की रवन्ना बुक में तीन प्रतियां होती है। पहली प्रति वाहन चालक को दी जाती है। दूसरी बोलीदाता विभाग में जमा कराता है, ताकि असेसमेंट हो सके। यह प्रति विभाग को नहीं मिली। तीसरी प्रति रवन्ना बुक के साथ होती है, जो विभाग के रिकॉर्ड में रहती है। खनिज अभियंता ने दूसरी प्रति धाकड़ से नहीं ली, न रवन्ना की दूसरी प्रति विभाग में जमा कराने को धाकड़ से कहा। अधिकारियों का मानना है कि दूसरी प्रति से बजरी परिवहन का खेल हो गया। खान एवं भू विज्ञान निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक कीर्ति राठौड़ ने नोटिस में भी उल्लेख किया है कि रवन्ना की दूसरी प्रति कार्यालय रिकॉर्ड में नहीं है।
मौके पर 200 टन, परिवहन 462 टन का हुआ विभाग ने माना कि 7 अप्रेल तक 2184 में से 200 टन बजरी शेष थी। धाकड़ ने 22 अप्रेल को रिकॉर्ड पेश किया। इसकी जांच में 262 टन अधिक बजरी का परिवहन पाया गया। यानी 462 टन का परिवहन हुआ। विभाग ने बिना जुर्माना के मात्र 1.51 लाख रुपए जमा कराने का 29 अप्रेल को नोटिस दिया। धाकड़ ने 30 अप्रेल को राशि जमा करा दी। विभाग को 262 टन बजरी परिवहन पर दस गुना पेनल्टी लगाकर 17 लाख रुपए से अधिक की राशि वसूल करनी थी। लेकिन धाकड़ को फायदा पहुंचाने के लिए 1.51 लाख रुपए चंद घटों में जमा कर लिए गए।