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अक्षय तृतीया 10 को, लेकिन अबूझ मुहूर्त पर इस बार नहीं होंगी शादियां

शुक्र व गुरू के अस्त होने के कारण विवाह मुहूर्त नहीं, परशुराम जयंती और उदयपुर स्थापना दिवस भी मनाएंगे

उदयपुरMay 02, 2024 / 10:54 pm

madhulika singh

अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। अक्षय का अर्थ होता है- जिसका क्षय न हो, इसे आखातीज भी कहते हैं। अक्षय तृतीया का दिन बड़ा ही शुभ माना जाता है। इस दिन को स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी कहते हैं और विवाह, सोना, वाहन, मकान आदि की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। परन्तु इस बार अक्षय तृतीया पर विवाह नहीं होंगे क्योंकि इस बार अक्षय तृतीया पर गुरु और शुक्र दोनों अस्त हैं, ऐसे में विवाह कार्य नहीं होंगे।

गजकेसरी, रवि व सुकर्मा योग का संयोग

पं. जगदीश दिवाकर के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर गजकेसरी योग व कई शुभ संयोग योग बन रहे हैं। इसमें सुकर्मा योग दोपहर 12.08 से दिन भर है। साथ ही रवि योग का भी संयोग है जो इस दिन प्रातः काल 05.33 से प्रातः 10.37 तक, दोपहर 12.18 से 01.59 तक और संध्याकाल में 09.40 से रात्रि 10.59 तक है। इस दिन विवाह मुहूर्त नहीं हैं क्योंकि गुरु 6 मई से अस्त हो जाएंगे, जो कि 3 जून को उदय होंगे और शुक्र 29 अप्रेल से अस्त हुए हैं जो कि 28 जून को उदय होंगे। ये दोनों ग्रह सुख, समृद्धि, वैभव, वैवाहिक जीवन के कारक ग्रह हैं।

दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व

पं. दिवाकर ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना इसी दिन की थी और भगवान परशुराम का जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन हुआ था। यानी अक्षय तृतीया के दिन व्रत करने और परशुराम की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति का वरदान मिलता है। सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले भक्त ब्रह्मलोक में स्थान पाते हैं। अक्षय तृतीया के दिन ही युधिष्ठिर को कृष्णजी ने अक्षय पात्र दिया था जिसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था और इसी पात्र से युधिष्ठिर अपने जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाते थे। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन से त्रेतायुग का भी आरंभ हुआ था। इसी शुभ दिन पर गंगा का अवतरण भी धरती पर हुआ था। वहीं, मेवाड़ की राजधानी उदयपुर की स्थापना 1559 में आखातीज के दिन महाराणा उदय सिंह ने की थी।
अक्षय तृतीया तिथि प्रारंभ – 10 मई शुक्रवार को प्रातः 4.16 से

अक्षय तृतीया तिथि समापन – 11 मई रात्रि 2.51 तक

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