गजकेसरी, रवि व सुकर्मा योग का संयोग
पं. जगदीश दिवाकर के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर गजकेसरी योग व कई शुभ संयोग योग बन रहे हैं। इसमें सुकर्मा योग दोपहर 12.08 से दिन भर है। साथ ही रवि योग का भी संयोग है जो इस दिन प्रातः काल 05.33 से प्रातः 10.37 तक, दोपहर 12.18 से 01.59 तक और संध्याकाल में 09.40 से रात्रि 10.59 तक है। इस दिन विवाह मुहूर्त नहीं हैं क्योंकि गुरु 6 मई से अस्त हो जाएंगे, जो कि 3 जून को उदय होंगे और शुक्र 29 अप्रेल से अस्त हुए हैं जो कि 28 जून को उदय होंगे। ये दोनों ग्रह सुख, समृद्धि, वैभव, वैवाहिक जीवन के कारक ग्रह हैं।
दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व
पं. दिवाकर ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना इसी दिन की थी और भगवान परशुराम का जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन हुआ था। यानी अक्षय तृतीया के दिन व्रत करने और परशुराम की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति का वरदान मिलता है। सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले भक्त ब्रह्मलोक में स्थान पाते हैं। अक्षय तृतीया के दिन ही युधिष्ठिर को कृष्णजी ने अक्षय पात्र दिया था जिसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था और इसी पात्र से युधिष्ठिर अपने जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाते थे। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन से त्रेतायुग का भी आरंभ हुआ था। इसी शुभ दिन पर गंगा का अवतरण भी धरती पर हुआ था। वहीं, मेवाड़ की राजधानी उदयपुर की स्थापना 1559 में आखातीज के दिन महाराणा उदय सिंह ने की थी। अक्षय तृतीया तिथि प्रारंभ – 10 मई शुक्रवार को प्रातः 4.16 से अक्षय तृतीया तिथि समापन – 11 मई रात्रि 2.51 तक