इसलिए हो रही कोलोरियांग को दर्जा में मिलने में देरी
चारों ओर पहाड़ों से घिरा कोलोरियांग के लिए भले ही अरुणाचल ने सबसे अधिक बारिश वाले स्थान का दर्जा हासिल करने के लिए दावा पेश कर दिया, लेकिन बारिश का आधिकारिक आंकड़ा नहीं होने से यह रिकॉर्ड उसके नाम नहीं हो पाया है। स्थानीय अधिकारी इस बात की पुष्टि करते हैं कि दो-तीन वर्षों से मौसिनराम और चेरापूंजी से ज्यादा बारिश हो रही है।
चारों ओर पहाड़ों से घिरा कोलोरियांग के लिए भले ही अरुणाचल ने सबसे अधिक बारिश वाले स्थान का दर्जा हासिल करने के लिए दावा पेश कर दिया, लेकिन बारिश का आधिकारिक आंकड़ा नहीं होने से यह रिकॉर्ड उसके नाम नहीं हो पाया है। स्थानीय अधिकारी इस बात की पुष्टि करते हैं कि दो-तीन वर्षों से मौसिनराम और चेरापूंजी से ज्यादा बारिश हो रही है।
बारिश रूठी तो पानी का संकट बढ़ा
जो चेरापूंजी सबसे अधिक वर्षा के लिए जाना जाता था, उपमाओं तक में आने लगा, वहां अब पीने के पानी की भारी किल्लत रहती है। गर्मी के अलावा सर्दियों में भी ऊंची कीमत पर लोगों को पानी के टैंकर खरीदने पड़ते हैं।
जो चेरापूंजी सबसे अधिक वर्षा के लिए जाना जाता था, उपमाओं तक में आने लगा, वहां अब पीने के पानी की भारी किल्लत रहती है। गर्मी के अलावा सर्दियों में भी ऊंची कीमत पर लोगों को पानी के टैंकर खरीदने पड़ते हैं।
मेघालय से क्यों रूठे ‘मेघ’
मेघालय के पर्यावरणविद एम. खोंगताव का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के अलावा तेजी से हो रहा शहरीकरण और लाइमस्टोन की खदानों के कारण इलाके का मौसम बदल गया। इसके साथ ही जंगल भी तेजी से काटे जा रहे हैं। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 से 2021 के बीच राज्य में 73 वर्ग किमी जंगल साफ कर दिए गए। राज्य में पिछले पांच वर्ष में बारिश की मात्रा में 15 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है।
मेघालय के पर्यावरणविद एम. खोंगताव का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के अलावा तेजी से हो रहा शहरीकरण और लाइमस्टोन की खदानों के कारण इलाके का मौसम बदल गया। इसके साथ ही जंगल भी तेजी से काटे जा रहे हैं। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 से 2021 के बीच राज्य में 73 वर्ग किमी जंगल साफ कर दिए गए। राज्य में पिछले पांच वर्ष में बारिश की मात्रा में 15 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है।