पुलिस ने बताया कि कंपनी ने 2015 में राजगोपाल नामक व्यक्ति से संपर्क किया। उन्होंने दावा किया कि ग्राहकों से निवेश प्राप्त करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से उचित अनुमति प्राप्त कर ली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि निवेश किए गए पैसे का उपयोग विभिन्न परियोजनाओं में किया जाएगा, खासकर ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में सोने और डेरिवेटिव ट्रेडिंग में।
आरोपियों ने लोगों से 1 लाख रुपए के निवेश पर तीन साल तक हर साल 100 प्रतिशत लाभ और उसके बाद पूरी निवेश की गई राशि वापस करने का वादा किया। उनकी बातों पर भरोसा कर राजगोपाल ने 3 लाख रुपए और निवेश किए और 2015 से 2018 तक 3 लाख रुपए प्राप्त किए। इसके बाद शिकायतकर्ता ने अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के साथ कुल 61 लोगों ने स्वर्णरत्न ग्रुप ऑफ कंपनीज में 2.40 करोड़ रुपए का निवेश किया। इसके अलावा, सुब्बैया और 25 अन्य लोगों ने 1.45 करोड़ रुपए का निवेश किया। निवेश की राशि प्राप्त करने के बाद आरोपियों ने न तो वादा किए गए मुनाफे का भुगतान किया और न ही उनका पैसा वापस किया। आरोपियों नेे कुल 86 लोगों को 3.89 करोड़ रुपए की ठग लिए।
शिकायत प्राप्त होने के बाद मामला दर्ज जांच शुरू की गई और पूछताछ में पता चला कि आरोपियों ने इसी तरीके का इस्तेमाल कर जनता से कई करोड़ रुपए की ठगी की है। ईडीएफ-2, सीसीबी के पुलिस निरीक्षक जी जी प्रसिथ दीपा के नेतृत्व में एक विशेष टीम ने फरार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान स्वर्णरत्न कंपनी के अध्यक्ष वेंकटरंग गुप्ता, डी. के. हरिहरन, विजयश्री गुप्ता, कविता शक्ति, प्रथिशा गुप्ता, जया संतोष और जया विग्नेश के रूप में की गई है। सहायक पुलिस आयुक्त राजशेखरन के नेतृत्व में पुलिस टीम ने उनके आवास और कार्यालय की तलाशी ली। तलाशी के दौरान पुलिस टीम ने आरोपियों से 4.5 लाख रुपए की नकदी, 44 सवरन सोने के आभूषण और हीरे के आभूषण, दो लग्जरी कारें, दो लैपटॉप, 14 सेल फोन और मामले से संबंधित दस्तावेज जब्त किए। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।