टीकमगढ़. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष, चून। पानी के महत्व को बताती रहीम दास की इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है यातायात थाना प्रभारी कैलाश पटेल ने। पत्थरों को सुखा देने वाली मई की विकट गर्मी में पानी के महत्व को समझाते हुए उन्होंने ड्रेनेज के पानी को संरक्षित करते हुए पुलिस लाइन में 2800 पौधों रोप दिए है। दो माह से इन पौधों की सिंचाई के लिए वह घरों से निकलने वाले ड्रेनेज के पानी को सहेज कर उपयोग कर रहे है।
घरों से निकलने वाला पानी जब नालियों में बहता है तो लोग उससे छूत मानते है, लेकिन यातायात थाना प्रभारी कैलाश पटेल ने इसी पानी को सहेज कर 2800 पौधों को जीवन दिया है। यही पौधे अब पेड़ बनकर हमें जीवन रक्षक ऑक्सीजन उपलब्ध कराएंगे तो बढ़ते तापमान को कम करने में मदद करेंगे। कैलाश पटेल ने पुलिस लाइन ग्राउंड पर 2200 मीटर का पौधों से आच्छादित ट्रेक बनाने का काम कर रहे है। इसमें से 1200 मीटर का ट्रेक लोगों को मॉर्निंग वॉक के काम आएगा। 15 मीटर चौड़े इस ट्रेक के दोनों ओर 5 हजार पेड़ लगाए जाने है। अभी 2800 पौधे लग चुके है। गर्मी अधिक होने और ड्रेनेज का पानी सीमित होने पर उन्होंने नए पौधे लगाना रोक दिया है।
पानी के संरक्षण की जरूरत
कैलाश पटेल ने बताया कि एसपी सर ने पूरे ग्राउंड को व्यवस्थित करने के निर्देश दिए थे। इसकी प्लानिंग करने वह जनवरी में लाइन पहुुंचे तो क्वॉटर के पास उन्होंने ड्रेनेज का जमा पानी देखा। उसी समय उन्होंने प्लान कर लिया था, कि इसी का उपयोग पौधे लगाने में करेंगे। इसके बाद उन्होंने 5 फीट गहरी नाली तैयार कराई और उसमें पानी का संरक्षण शुरू किया। उनका कहना था कि यहां पर पुलिस लाइन के 300 क्वॉटर के साथ ही पास की कॉलोनी के 200 मकानों का पानी एकत्रित होता था। प्रत्येक घर में नहाने, कपड़े एवं बर्तन धोने सहित अन्य कामों में 500 लीटर पानी प्रतिदिन उपयोग होता है। ऐसे में यहां से उन्हें प्रतिदिन 25 हजार लीटर पानी मिल जाता है। व्यर्थ में नाली में बह जाने से अच्छा इसका उपयोग सिंचाई में किया जाए। यदि इस पानी का उपयोग न करते तो प्रतिदिन इतना ही स्वच्छ पानी पौधों की सिंचाई के लिए बहाना पड़ता। पटेल ने बताया कि यहां पर मियाबांकी पद्धति से पौधे लगाए गए है। इसमें अलग-अलग आयु वर्ग और किस्म के अनुसार पौधे लगाए जाते है। ऐसे में कुछ छोटे होते है तो कुछ बड़े होते है। ऐसे में सभी को छांव-धूप मिलती रहती है।
घरों से निकलने वाला पानी जब नालियों में बहता है तो लोग उससे छूत मानते है, लेकिन यातायात थाना प्रभारी कैलाश पटेल ने इसी पानी को सहेज कर 2800 पौधों को जीवन दिया है। यही पौधे अब पेड़ बनकर हमें जीवन रक्षक ऑक्सीजन उपलब्ध कराएंगे तो बढ़ते तापमान को कम करने में मदद करेंगे। कैलाश पटेल ने पुलिस लाइन ग्राउंड पर 2200 मीटर का पौधों से आच्छादित ट्रेक बनाने का काम कर रहे है। इसमें से 1200 मीटर का ट्रेक लोगों को मॉर्निंग वॉक के काम आएगा। 15 मीटर चौड़े इस ट्रेक के दोनों ओर 5 हजार पेड़ लगाए जाने है। अभी 2800 पौधे लग चुके है। गर्मी अधिक होने और ड्रेनेज का पानी सीमित होने पर उन्होंने नए पौधे लगाना रोक दिया है।
पानी के संरक्षण की जरूरत
कैलाश पटेल ने बताया कि एसपी सर ने पूरे ग्राउंड को व्यवस्थित करने के निर्देश दिए थे। इसकी प्लानिंग करने वह जनवरी में लाइन पहुुंचे तो क्वॉटर के पास उन्होंने ड्रेनेज का जमा पानी देखा। उसी समय उन्होंने प्लान कर लिया था, कि इसी का उपयोग पौधे लगाने में करेंगे। इसके बाद उन्होंने 5 फीट गहरी नाली तैयार कराई और उसमें पानी का संरक्षण शुरू किया। उनका कहना था कि यहां पर पुलिस लाइन के 300 क्वॉटर के साथ ही पास की कॉलोनी के 200 मकानों का पानी एकत्रित होता था। प्रत्येक घर में नहाने, कपड़े एवं बर्तन धोने सहित अन्य कामों में 500 लीटर पानी प्रतिदिन उपयोग होता है। ऐसे में यहां से उन्हें प्रतिदिन 25 हजार लीटर पानी मिल जाता है। व्यर्थ में नाली में बह जाने से अच्छा इसका उपयोग सिंचाई में किया जाए। यदि इस पानी का उपयोग न करते तो प्रतिदिन इतना ही स्वच्छ पानी पौधों की सिंचाई के लिए बहाना पड़ता। पटेल ने बताया कि यहां पर मियाबांकी पद्धति से पौधे लगाए गए है। इसमें अलग-अलग आयु वर्ग और किस्म के अनुसार पौधे लगाए जाते है। ऐसे में कुछ छोटे होते है तो कुछ बड़े होते है। ऐसे में सभी को छांव-धूप मिलती रहती है।
मिला लोगों का सहयोग
उन्होंने बताया कि यह काम पूरा जन सहयोग से हो रहा है। काम शुरू किया तो एसपी सर की मदद से जेसीबी मशीन आदि की सुविधा मिली तो पपौरा गोशाला से 4 ट्रक खाद नि:शुल्क मिल गया। कुछ पौधों की व्यवस्था नि:शुल्क हुई तो कुछ खरीदने पड़े। उन्होंने बताया कि इसमें प्रकृति प्रेमी न्यायालय के कर्मचारी सुशील प्रजापति का भी बहुत सहयोग मिला है। वह नियमित रूप से यहां पहुंच कर पेड़ों की सेवा करते है। इसके साथ ही अन्य लोग भी मदद करने आते है। यहां पर लगाए गए 2800 पौधों में नीम, पीपल, बरगद, कदम, बकायन (नीम का हाइब्रिड) गुलमोहर, आम, कटहल, जामुन, अमरूद और अंजीर सहित अन्य पौधे लगाए गए है।
उन्होंने बताया कि यह काम पूरा जन सहयोग से हो रहा है। काम शुरू किया तो एसपी सर की मदद से जेसीबी मशीन आदि की सुविधा मिली तो पपौरा गोशाला से 4 ट्रक खाद नि:शुल्क मिल गया। कुछ पौधों की व्यवस्था नि:शुल्क हुई तो कुछ खरीदने पड़े। उन्होंने बताया कि इसमें प्रकृति प्रेमी न्यायालय के कर्मचारी सुशील प्रजापति का भी बहुत सहयोग मिला है। वह नियमित रूप से यहां पहुंच कर पेड़ों की सेवा करते है। इसके साथ ही अन्य लोग भी मदद करने आते है। यहां पर लगाए गए 2800 पौधों में नीम, पीपल, बरगद, कदम, बकायन (नीम का हाइब्रिड) गुलमोहर, आम, कटहल, जामुन, अमरूद और अंजीर सहित अन्य पौधे लगाए गए है।
कहते है अधिकारी
ग्राउंड को व्यवस्थित और हरा-भरा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें सभी का सहयोग मिल रही है। यातायात प्रभारी द्वारा पौधा रोपण के लिए ड्रेनेज के पानी का उपयोग करना सराहनीय प्रयास है।- रोहित काशवानी, एसपी, टीकमगढ़।
ग्राउंड को व्यवस्थित और हरा-भरा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें सभी का सहयोग मिल रही है। यातायात प्रभारी द्वारा पौधा रोपण के लिए ड्रेनेज के पानी का उपयोग करना सराहनीय प्रयास है।- रोहित काशवानी, एसपी, टीकमगढ़।