राज्यसभा में गुरुवार को विपक्षी दलों के हंगामे पर धनखड़ ने सदस्यों से अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने की अपील की। उन्होंने सदस्यों से संसदीय प्रक्रिया के नियमों का पालन करने का आग्रह करते हुए कहा कि जब हमें राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित होकर 1.4 बिलियन लोगों को एक शक्तिशाली संदेश देना था। उनकी आकांक्षाओं और सपनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से पुष्टि करना था और विकसित भारत 2047 की ओर हमारी यात्रा को आगे बढ़ाना था। लेकिन दुख की बात है कि हम इस ऐतिहासिक अवसर को चूक गए। जहां सदन में रचनात्मक संवाद और सार्थक बातचीत होनी चाहिए थी, वहां हम अपने नागरिकों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके। उन्होंने कहा कि यह सदन केवल बहस का मंच नहीं है। यहां से हमारी राष्ट्रीय भावना को गूंजना चाहिए। हंगामा कर हम अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेते हैं। यदि संसद लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य से भटकती है, तो हमें राष्ट्रवाद को पोषित करना और लोकतंत्र को आगे बढ़ाना चाहिए।